भोपाल के प्रतिभाशाली नीरज कालकर इंडियन आइडल में युवाओं को करेंगे तैयार

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भोपाल। संगीत के क्षेत्र में आज युवाओं के पास बहुत अवसर हैं। बस जरूरत ईमानदारी से मेहनत करने की है। टीवी चैनलों के रियालिटी सिंगिंग शो नए कलाकारों को प्लेटफार्म तो देते हैं, लेकिन बाल कलाकार के रूप में इनमें शामिल होने वाले बच्चों की आवाज 13 साल की उम्र के बाद अपने आप बदल जाती है, इससे उन्हें आगे बढ़ने में दिक्कत होती है और इसका एक मात्र उपाय रियाज है। गायक को चाहिए कि लाइम लाइट से दूर रहते हुए वह रियाज पर फोकस करे। यह कहना है म्यूजिक कंपोजर नीरज कालकर का, जो युवाओं के रियालिटी सिंगिंग शो इंडियन आइडल सीजन- 10 में प्रतिभागियों को तैयार करेंगे। भोपाल के रहने वाले नीरज खुद भी बाल कलाकार के रूप में कई टीवी रियालिटी शो के प्रतिभागी रहे चुके हैं। नवदुनिया से बातचीत में नीरज ने बताया कि मैं इस मामले में भाग्यशाली रहा हूं कि मेरी आवाज में ज्यादा अंतर नहीं आया। इसकी वजह है कि संगीत के संस्कार मुझे अपने घर से ही मिले हैं। मेरी माता सुरेखा कालकर शास्त्रीय गायिका थीं। मैंने बचपन से उनसे ही सीखना शुरू किया था। इसके बाद गुरु पंडित सिद्धराम स्वामी कोरवार से संगीत की शिक्षा ली है। दोनों गुरुओं का आशीर्वाद मुझे आज इस मुकाम तक ले आया है।
संगीत में सुकून है
नीरज ने बताया कि सोनी टीवी पर 28 नवंबर से प्रसारित होने जा रहे इंडियन आइडल सीजन-10 में मुझे म्यूजिक हेड और कोच की जिम्मेदारी दी गई है। इस बार कोविड-19 महामारी की वजह से देश भर के 70 युवा गायकों का चयन ऑनलाइन माध्यम से हुआ है, इस कारण देश के कोने- कोने से युवा टैलेंट शो में दिखाई देगा। कोरोना काल में 15 से 30 वर्ष के इन गायकों को कोच करना थोड़ कठिन है, लेकिन यह काम मैं बखूबी कर रहा हूं। इस मुश्किल दौर में खुद को सुकून पहुंचाने के लिए भी संगीत सबसे अच्छा जरिया है। 15 बॉलीवुड सिंगर की टीम इन्हें जज करेगी। शहर के हमीदिया कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने वाले नीरज 19 साल से म्युजिक इंडस्ट्री में सक्रिय हैं।

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