एनआईटी श्रीनगर की बड़ी उपलब्धि, आविष्कार को मिला पेटेंट
श्रीनगर गढ़वाल : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) उत्तराखंड श्रीनगर के विद्युत अभियांत्रिकी विभाग के छात्रों और संकाय सदस्यों ने ऊर्जा कुशल ई-रिक्शा के लिए एक एकीकृत कनवर्टर का आविष्कार किया है। एनआईटी के सहायक प्राध्यापक पद पर कार्यरत डॉ. प्रकाश द्विवेदी एंव डॉ. सौरव बोस एंव उनके शोध छात्रों राकेश थपलियाल और सत्यवीर सिंह नेगी को पर्वतीय क्षेत्र के लिए ऊर्जा कुशल ई-रिक्शा के लिए एक एकीकृत कनवर्टर का आविष्कार के लिए पेटेंट प्रदान किया है। यह पेटेंट केंद्र सरकार के पेटेंट कार्यालय ने पेटेंट अधिनियम 1970 के प्रावधानों के अनुसार प्रदान किया है और इसकी वैधता 20 वर्षों के लिए होगी। यह एनआईटी श्रीनगर के बहुत बड़ी उपलब्धि है।
संस्थान के निदेशक प्रो. ललित कुमार अवस्थी ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा किसी शोध को मान्यता देना एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों की इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि इस पेटेंट की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और व्यावसायीकरण की प्रक्रिया अभी चल रही है। इस टेक्नोलॉजी में इंटीग्रेटेड कनवर्टर की शुरुआती कीमत 6 हजार रूपए है, लेकिन जब इसका भारी मात्रा में प्रोडक्शन किया जायेगा तो यह 3 हजार में उपलब्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस टेक्नोलाजी से संस्थान को एक बार में 21 हजार की आय हो सकती है। इसके अलावा व्यावसायीकरण की प्रक्रिया सफल होने के उपरांत हर प्रोडक्ट पर पांच प्रतिशत मिलेगा। जिससे संस्थान को प्रतिवर्ष औसतन ढाई लाख रूपये तक की अतिरिक्त आय अर्जित करने की उम्मीद है। प्रो. अवस्थी ने कहा कि इस टेक्नोलॉजी का अविष्कार पहाड़ी क्षेत्र के विकास के लिए किया गया है। इस मौके पर डॉ. प्रकाश द्विवेदी, संस्थान के प्रभारी कुलसचिव डॉ. धर्मेंद्र त्रिपाठी ने भी शोधकर्ताओं को बधाई दी। (एजेंसी)