पीएनबी घोटाले के मुख्य आरोपी मेहुल चोकसी को तगड़ा झटका, बेल्जियम की अदालत ने प्रत्यर्पण को दी हरी झंडी

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नई दिल्ली , भगोड़े हीरा व्यापारी और पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी मेहुल चोकसी को बड़ा झटका लगा है। बेल्जियम की एक अदालत ने फैसला सुनाया है कि चोकसी के भारत प्रत्यर्पण में कोई कानूनी बाधा नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि चोकसी बेल्जियम का नागरिक नहीं, बल्कि एक विदेशी नागरिक है और उसके खिलाफ लगे आरोप इतने गंभीर हैं कि उसका प्रत्यर्पण जायज है।
अंतिम नतीजे में कोर्ट ने कहा कि मेहुल चोकसी भारत के घोटाले में आरोपी है और यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है। अदालत ने भारत द्वारा दिए गए उन आश्वासनों पर भरोसा जताया, जिनमें कहा गया है कि भारत में उसे निष्पक्ष सुनवाई, सुरक्षा, उचित जेल व्यवस्था और चिकित्सा सुविधा मिलेगी।
मेहुल चोकसी की नागरिकता पर कोर्ट ने कहा कि उसने खुद यह नहीं झुठलाया कि वह बेल्जियम का नागरिक नहीं है, इसलिए कोर्ट ने उसे विदेशी नागरिक माना। अदालत ने पाया कि भारत में चोकसी पर कई गंभीर अपराधों के आरोप हैं, जिनमें साजिश (धारा 120-क्च), सबूत मिटाना (धारा 201), सरकारी पैसे की हेराफेरी (धारा 409), धोखाधड़ी (धारा 420), झूठे खाते बनाना (धारा 477्र) और भ्रष्टाचार से जुड़े अपराध (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988) शामिल हैं। इन सभी में एक साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान है।
बेल्जियम के कानून के मुताबिक भी, आपराधिक गैंग का हिस्सा बनना, धोखाधड़ी, गबन, रिश्वत और फर्जी कागजों का इस्तेमाल करना गंभीर अपराध हैं, जिनमें एक साल से ज्यादा की जेल है। हालांकि, कोर्ट ने ‘सबूत मिटानेÓ के बिंदु पर प्रत्यर्पण की मंजूरी नहीं दी, क्योंकि इसे बेल्जियम में उस श्रेणी का अपराध नहीं माना जाता।
चोकसी ने दलील दी थी कि उसे एंटीगुआ से भारत के कहने पर किडनैप किया गया था। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि चोकसी इसका कोई सबूत पेश नहीं कर पाया। कोर्ट ने यह भी साफ कहा कि यह मामला न तो राजनीतिक है, न सैन्य और न ही टैक्स से जुड़ा है। भारत सरकार चोकसी के खिलाफ उसकी जाति, धर्म या राजनीतिक विचारों के कारण कार्रवाई नहीं कर रही है।
चोकसी ने कई रिपोर्ट्स का हवाला देकर कहा था कि भारत की जेलों की हालत खराब है और न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि ये रिपोर्टें अन्य मामलों (जैसे सिख एक्टिविज़्म, तिहाड़ जेल आदि) से जुड़ी हैं। इससे यह साबित नहीं होता कि चोकसी को भारत में अन्याय या अत्याचार का सामना करना पड़ेगा।
भारत की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गई कि चोकसी को मुंबई की आर्थर रोड जेल के बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा, जो 46 वर्ग मीटर का है, जिसमें दो सेल और निजी शौचालय की व्यवस्था है। उसे केवल चिकित्सा या अदालत में पेशी के लिए ही बाहर लाया जाएगा और उसका नियंत्रण जांच एजेंसी के पास नहीं, बल्कि अदालत के पास होगा।
अदालत ने चोकसी की अपील खारिज करते हुए कहा कि उसने ऐसा कोई सबूत नहीं दिया जिससे लगे कि भारत में उसे निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी। कोर्ट ने माना कि बड़े घोटालों में मीडिया की रुचि होना सामान्य है और इसे पक्षपात नहीं कहा जा सकता।

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