जीएसटी की मार: बड़ी कंपनियों को होगा फायदा, गरीब-मध्यम वर्ग के उपभोक्ता और छोटे व्यापारियों की टूटेगी कमर
नई दिल्ली, एजेंसी। जीएसटी की नई दरों की घोषणा होने के बाद अब विपक्षी पार्टियों की तरह व्यापारी भी कहने लगे हैं कि केंद्र सरकार के इस कदम से केवल बड़ी कंपनियों को फायदा होगा, जबकि गरीब-मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारियों की कमर टूट जाएगी। बड़ी कंपनियों पर इन दरों का ज्यादा असर नहीं होगा, क्योंकि उनके ज्यादातर उत्पाद पहले से ही इस कर दायरे के अंदर थे। केंद्र के इस फैसले के बाद दूध, दही, पनीर, बल्ब से लेकर पेंसिल-पेन और होटल-अस्पताल के कमरे तक महंगे हो जाएंगे। केंद्र के इस फैसले के बाद व्यापारियों ने 26 जुलाई को भोपाल में एक बैठक के बाद आंदोलन करने का मन बना लिया है।
केंद्र सरकार ने पहले ही बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के पैक्ड-ब्रांडेड उत्पादों को पांच, 12 और 18 फीसदी के जीएसटी कर दायरे में ला दिया था। इससे उनके उत्पाद खुले बाजार में महंगे पड़ रहे थे, जबकि छोटी कंपनियों के खुले या छोटे-छोटे पैक में बेचे जा रहे उत्पाद ब्रांडेड कंपनियों के न होने के कारण इस दायरे से बाहर थे और खुले बाजार में सस्ती दरों पर बिक रहे थे।
नई व्यवस्था लागू होने के बाद अब छोटी कंपनियों के पैक्ड सामान पर भी पांच, 12 या 18 फीसदी तक का टैक्स लगेगा। इससे छोटी कंपनियों के उत्पाद भी महंगे हो जाएंगे। छोटी कंपनियों के उत्पादों और बड़ी ब्रांडेड कंपनियों के उत्पादों में बेहद मामूली अंतर रह जाने के बाद ग्राहक थोड़ा ज्यादा पैसे देकर ब्रांडेड उत्पाद खरीदना चाहेगा। इससे छोटी कंपनियों को नुकसान होगा, जबकि बड़ी कंपनियों के माल की बिक्री में बढ़ोतरी होगी।
व्यापारियों के संगठन कैट के नेता सुमीत अग्रवाल ने अमर उजाला को बताया कि निचले स्तर का व्यापारी अब तक छोटी-मोटी दुकानदारी करता था, लिहाजा वह कर दायरे से बाहर था। उसने अब तक टैक्स सिस्टम के लिए भी स्वयं को रजिस्टर नहीं करा रखा था। लेकिन अब हर माल की बिक्री दिखाने के लिए उसे जीएसटी नंबर लेना अनिवार्य हो जाएगा। इससे उसका लेजर मेंटेन करने का खर्च बढ़ जाएगा। चूंकि, केंद्र ने 25 किलो से ज्यादा के पैक पर कोई जीएसटी न लगाने का निर्णय लिया है, लिहाजा बड़े व्यापारी इस कर सिस्टम से अप्रभावित रहेंगे। वे पहले की तरह अपना टैक्स देते रहेंगे।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता जफर इस्लाम ने कहा है कि जीएसटी की नई दरों की विपक्ष गलत आधार पर आलोचना कर रहा है। सच्चाई यह है कि जीएसटी कांउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री होते हैं और सबकी सहमति लेने के बाद ही इस तरह के फैसले को लागू किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह फैसला सबकी सहमति से लिया गया है।