भाजपा को मिली विपक्षी एकता की कवायदों की काट! क्या पसमांदा मुसलमान कराएंगे सत्ता में वापसी?
नई दिल्ली, एजेंसी। अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले भाजपा को रोकने के लिए तमाम विपक्षी दल जहां एक साथ आने की कवायद में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में इतिहास रचने के लिए नई रणनीति तैयार कर ली है। अपनी भविष्य की रणनीति के क्रम में भाजपा केवल सवर्णों ही नहीं, बल्कि पिछड़ों और दलितों के साथ ही मुस्लिम समुदाय को अपने पाले में लाने की कोशिशों में लगी है। मुसलमानों में भी भाजपा का फोकस पसमांदा मुस्लिमों पर है। खुद पीएम मोदी भी पसमांदा मुसलमानों के बीच पार्टी की पैठ बढ़ाने पर जोर दे चुके हैं। हाल ही में भाजपा ने कई ऐसे काम किए हैं जो उसकी इस मंशा को साफ उजागर करते हैं। हम आपको बताएंगे कि देश में किन राज्यों में सबसे ज्यादा पसमांदा मुसलमान हैं और पसमांदा में कितनी जातियां शामिल हैं और इनके साथ आने से भाजपा को कितना फायदा होगा…
भारत में रहने वाले मुसलमानों में 15 फीसदी उच्च वर्ग के माने जाते हैं। जिन्हें अशरफ कहते हैं। इनके अलावा बाकि 85 फीसदी अरजाल, अजलाफ मुस्लिम पिछड़े हैं। इन्हें पसमांदा कहा जाता है। आंकड़े बताते हैं कि पसमांदा मुसलमानों की हालत समाज में बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे मुसलमान आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक हर तरह से पिछड़े और दबे हुए हैं।
मुस्लिम समाज के पिछड़े वर्ग की सूची में 52 जातियां हैं जिन्हें पसमांदा मुसलमान कहा जाता है। इनमें भटियारा, मोची, मनिहार, पैमदी, गुर्जर, राजगीर, गद्दी, मेवाली, रंगरेज, भड़भूजा, नालबंद, सिकलीगर, धोबी, शाह, फकीर, हम्माल, कसाई, राईन, गोली, सैफी, जुलाहा व शीशगर जातियां प्रमुख हैं।
भारत की बात करें तो पसमांदा समाज के लोग 18 राज्यों में सर्वाधिक हैं। इनमें यूपी, बिहार, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं। पश्चिमी यूपी में इनकी आर्थिक स्थिति पूर्वांचल के मुसलमानों से बेहतर है। हर जगह इनकी मौजूदगी जीत-हार का समीकरण बदलने की ताकत रखती है।
आंकड़ों के लिहाज से चुनावों में भाजपा को सबसे कम वोट मुस्लिमों के ही मिलते हैं। भाजपा इस स्थिति को ही बदलना चाहती है। इन आंकड़ों को बदलने के लिए ही पीएम मोदी ने जनवरी में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में साफ कहा था कि भाजपा नेताओं को पसमंदा और बोहरा मुस्लिमों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने की जरूरत है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ‘भारत में जिस तरह से हिंदुओं में अलग-अलग जातियों का असर है, वैसा ही मुसलमानों में भी है। हिंदुओं में तो जाति के आधार पर वोट बंट जाते हैं, लेकिन मुसलमानों में सब एकजुट होकर किसी भी दल को वोट कर देते हैं। यूपी में सपा और बसपा, बिहार में आरजेडी और जेडीयू, पश्चिम बंगाल में टीएमसी, महाराष्ट्र में एनसीपी के खाते में मुसलमान वोट पड़ते हैं। इसी तरह दक्षिण भारत में भी भाजपा के खिलाफ मजबूती से खड़ी होने वाली पार्टी को मुसलमानों का वोट जाता है।’
लोकसभा चुनावों से पहले, भाजपा ‘पसमांदा’ मुस्लिमों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए काम कर रही है। ऐसे में हाल ही में उत्तर प्रदेश विधान परिषद में शिक्षाविद तारिक मंसूर के नामांकन से पार्टी को समुदाय और मुस्लिम पेशेवरों के साथ जुड़ने में मदद मिल सकती है। दरअसल, तारिक मंसूर पसमांदा समुदाय से आते हैं।
गौरतलब है कि देश की कुल मुस्लिम आबादी के 80 फीसदी पसमांदा मुसलमान हैं, ऐसे में भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा इनको अपने पाले में लाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करता रहता है। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ हीऐसे कार्यक्रमों में भाजपा तेजी ला सकती है। भाजपा नेताओं ने अभी से ऐसी सीटों की पहचान करना भी शुरू कर दिया है, जहां पसमांदा मुस्लिम बड़े वोटबैंक हैं।
देश की मुस्लिम आबादी के 85 फीसदी मुस्लिम शिक्षा सहित आर्थिक और सामाजिक पैमानों में हर स्तर पर पिछड़े हैं। वहीं, बाकि के 15 फीसदी मुस्लिम बेहतर स्थिति में हैं। अब भाजपा ने आर्थिक तौर पर पिछड़े मुसलमानों को टारगेट किया है। भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाओं में भी इन वर्ग का खासा ध्यान रखा गया है। जिनसे निम्न तबके के मुसलमानों को काफी फायदा मिला है। ऐसे में इस तबके के भाजपा के साथ आने से भगवा पार्टी को आगामी लोकसभा चुनावों में काफी फायदा मिलेगा।
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ईस्टर पर राष्ट्रीय राजधानी में एक चर्च में पहुंचे थे। भाजपा ने इस बहाने ईसाइयों को जोड़ने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ाया है। पीएम मोदी के चर्च पहुंचने पर पादरियों द्वारा उनका स्वागत किया गया था। यहां वे प्रार्थना में भी शामिल हुए थे। उनके चर्च आगमन को लेकर पादरी फ्रांसिस स्वामीनाथन ने कहा था कि ऐसा पहली बार है जब कोई प्रधानमंत्री चर्च का दौरा कर रहा है। भाजपा ने इस दौरे के वीडियो को सोशल मीडिया के जरिए खूब शेयर किया है। इसके जरिए उन्होंने संदेश देने की कोशिश की है कि भाजपा की सरकार में हर धर्म के लोगों को तरजीह दी जाती है।