ब्रह्मलीन महंत मनीष भारती युवा संतों के प्रेरणास्रोत थे : श्रीमहंत रविन्द्रपुरी
हरिद्वार। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा है कि ब्रह्मलीन महंत मनीष भारती युवा संतों के प्रेरणा स्रोत थे। मायापुर स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में ब्रह्मलीन महंत मनीष भारती महाराज के सूक्ष्म रूप से आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि महापुरुषों के सानिध्य में व्यक्ति का जीवन सदैव उन्नति की ओर अग्रसर होता है और संतों ने धर्म की रक्षा एवं भारतीय संस्कृति के संरक्षण में हमेशा ही अहम भूमिका निभाई है। ब्रह्मलीन महंत मनीष भारती महाराज एक दिव्य महापुरुष थे। उन्होंने हमेशा ही अखाड़े की परंपराओं का निर्वहन करते हुए सनातन परंपराओं को आगे बढ़ाया। महंत मनीष भारती महाराज के ब्रह्मलीन होने से अखाड़े को अपूरणीय क्षति हुई है। जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि महापुरुषों के जीवन से सभी को प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान प्रदान करना चाहिए। ब्रह्मलीन महंत मनीष भारती महाराज एक विद्वान महापुरुष थे। जिनका सरल स्वभाव एवं मधुर व्यवहार सभी को अपनी और आकर्षित करता था। ऐसे महापुरुष के अचानक ब्रह्मलीन हो जाने से अखाड़े के संतों को गहरा आघात पहुंचा है। उन्होंने कहा कि महंत मनीष भारती महाराज द्वारा संचालित किए गए सेवा प्रकल्प में निरंतर वृद्धि कर उनके अधूरे कार्यों को पूर्ण किया जाएगा। महंत केशव पुरी एवं श्रीमहंत दिनेश गिरी महाराज ने कहा कि संतों का अंत नहीं होता बल्कि संत देह मुक्त होकर अनंत हो जाते हैं। ब्रह्मलीन महंत मनीष भारती महाराज सेवा की साधना थे और इंसानियत के संस्करण थे। जिन्होंने सदैव भावी पीढ़ी को आदर्श का मार्ग अपनाकर धर्म तथा संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन के लिए सदैव ही प्रेरित किया। राष्ट्र निर्माण में उनके अतुल्य योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस दौरान श्रीमहंत ओंकार गिरी, महंत राधे गिरी, महंत नीलकंठ गिरी, महंत नरेश गिरी, महंत शंकरानंद सरस्वती, श्रीमहंत गिरिजा नंद सरस्वती, दिगंबर गंगागिरी, दिगंबर आशुतोष पुरी, दिगंबर बलवीर पुरी, स्वामी आलोक गिरी, स्वामी मधुर वन, स्वामी रघु वन, स्वामी रवि वन आदि संत मौजूद रहे।