कोटद्वार-पौड़ी

भारी ट्रैफिक के बीच नेशनल हाईवे पर टूटता अतिक्रमण दे रहा हादसों को न्योता

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-भीड़ के बीच बदरीनाथ मार्ग पर ऊंची इमारतों को तोड़ने से कई बार टल चुके हैं हादसे
-एक बाद कार व एक बार दुपहिया वाहन भी हो चुका है क्षतिग्रस्त, फिर भी जिम्मेदार नहीं ले रहे सुध
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : हाई कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम ने सख्ती दिखाते हुए लाल बत्ती चौक से मालवीय उद्यान तक चिह्नित अतिक्रमण पर जेसीबी चलाई और बाकी के अतिक्रमण को तोड़ने के लिए निर्देशित किया। अब अतिक्रमणकारी किए गए अतिक्रमण को खुद से तोड़ रहे हैं, लेकिन इससे लोगों की जान पर खतरा बना हुआ है। दरअसल, नेशनल हाईवे पर सड़क के दोनों और भारी ट्रैफिक के बीच अतिक्रमण को तोड़ा जा रहा है। जिससे ऊंची-ऊंची इमारतों से ईंट व पत्थर सड़क पर गिर रहे हैं। कई बार लोग इन ईंट व पत्थरों के चपेट में आने से बचे हैं। जबकि दो बाद ऊपर से गिरे कंक्रीट के कारण कार व दुपहिया वाहन भी क्षतिग्रस्त हो चुका है। इन घटनाओं के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई को तैयार नहीं हैं।
18 नवंबर 2020 को उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ ही कोटद्वार नगर निगम की नजूल भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किए थे। न्यायालय के आदेश के बाद नगर निगम ने अतिक्रमण चिह्नीकरण का कार्य शुरू कर दिया था।
निगम की ओर से नजीबाबाद चौक से मालवीय उद्यान तक 137 अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे। उच्च न्यायालय की ओर से जारी निर्देशों के बाद नगर निगम ने दिसंबर 2020 में नगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की। नगर निगम की कार्रवाई के विरोध में कुछ भवन स्वामी उच्चतम न्यायालय पहुंच गए। व्यापारियों का तर्क था कि उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका में भवन स्वामियों का पक्ष सुने बिना निर्णय दे दिया। उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय को दूसरा पक्ष सुनने के निर्देश दिए। जिसके बाद उच्च न्यायालय ने नगर निगम को भवन स्वामियों का पक्ष सुनने को कहा। उच्च न्यायालय के निर्देश पर नगर निगम ने भवन स्वामियों को आपत्तियां दर्ज करने के निर्देश दिए। नगर निगम में 79 भवन स्वामियों ने आपत्तियां दर्ज की। जिन पर नगर निगम प्रशासन ने सुनवाई की। सुनवाई पूर्ण होने के बाद नगर निगम प्रशासन ने 43 भवन स्वामियों के भवनों को अतिक्रमण की जद में पाया। गत 23 जून को नगर निगम प्रशासन ने उक्त अतिक्रमण पर जेसीबी चलाते हुए कुछ हिस्से को तोड़ दिया था, जबकि बचे हुए हिस्से को तोड़ने के निर्देश दिए थे।

अतिक्रमण तोड़ने से पहले सुरक्षा की होनी चाहिए उचित व्यवस्था
शहर में ट्रैफिक के बीच तोड़े जा रहे अतिक्रमण के चलते यदि कोई हादसा हो जाता है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। ऐसे में नगर निगम प्रशासन को चाहिए कि वह अतिक्रमणकारियों को सख्त हिदायत दे कि अतिक्रमण तोड़ने से पहले सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर कर लिए जाएं। जिससे किसी भी प्रकार के हादसे का खतरा न बना रहे। बदरीनाथ मार्ग पर टूटते अतिक्रमण के बीच चलने में लोगों को हर पर यही डर सताता रहता है कि ना जाने कहां से कोई ईंट या पत्थर उछलकर आ जाए और उन्हें चोटिल कर दे।

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