ब्रिटिश संपादक ने पीएम मोदी की तारीफों के बांधे पुल
नई दिल्ली। ब्रिटेन के समाचार पत्र डेली एक्सप्रेस के असिस्टेंट एडिटर सैम स्टीवनसन ने ‘नए भारत’ की पुरजोर पैरवी करते हुए कहा कि भविष्य में इस विकासशील देश की अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी। उन्होंने पश्चिम के भारत के बारे में गलत अवधारणाएं बनाने पर कहा कि यूरोप और पश्चिमी देशों ने अपने मीडिया के जरिये भारत के खिलाफ नकारात्मक और पक्षपातपूर्ण कहानियों के हुजूम लगा दिए।उन्होंने कहा कि लोग भारत में धार्मिक भेदभाव जैसी बातें सुनते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत के रूप में उन्होंने कुछ और ही देखा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनावी रैलियों में सांप्रदायिक सद्भाव की झांकी देखी जा सकती है। हमने इस महान और बेमिसाल देश में बहुलवाद (अनेक धर्मों) के अनदेखे उदाहरण देखे हैं। भारत में लोकसभा चुनावों को कवर करने आए सैम स्टीवनसन ने रविवार को कहा कि भारत से बताई जाने वाली बहुत से उत्साहवर्धक और प्रेरणादायी कहानियां हैं। ब्रिटिश पत्रकार ने कहा कि ब्रिटेन और भारत के बीच संस्कृति, भाषा, विरासत और इतिहास साझा हुए हैं। ब्रिटिश मीडिया कुछ जटिलता चीजों को सतही रूप से देखने का प्रयास कर रहा है। वह कहते हैं कि मोदी इस्लाम विरोधी हैं। लेकिन वास्तव में जब आप जमीन पर आते हैं और असली मुसलमानों से बात करते हैं। जब आप हिंदुओं, सिखों से बात करते हैं, आप देखेंगे कि भारत सभी संस्कृतियों या धर्मों को स्वीकार करता है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनावी रैलियों में सांप्रदायिक सद्भाव की झांकी देखी जा सकती है। उनकी रैलियों में मुसलमान महिलाएं बुरका पहनकर आती हैं। इस जगह के बारे में यही सबसे शानदार बात है। इस देश की समृद्ध विरासत और समग्रता को नजरअंदाज किया जा रहा है।स्टीवनसन ने कहा कि भारत विरोधी बकवास के साथ भारत को नीचा दिखाने के प्रयास बंद किए जाने चाहिए। हमें यहां आने और दुनिया को सच्चाई बताने की जरूरत है। नए भारत की ग्राउंड रिपोर्टिंग करके सकारात्मक कहानियां सुनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश भारत के प्रति यूरोप और पश्चिमी देशों का नजरिया अच्छा नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि विदेशी मीडिया लगातार नकारात्मक खबरें ही परोस रही है। इन पक्षपात खबरों से जनमत बनाया जा रहा है।