पर्वत की चिट्ठी ले जाना कविता सुनाकर श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
श्रीनगर गढ़वाल : श्रीनगर नगर निगम सभागार में आयोजित पुरुषोत्तम असनोड़ा स्मृति व्याख्यान में उत्तराखण्ड के विभिन्न हिस्सों से आए जन सरोकारों से जुड़े प्रतिनिधियों ने शिरकत की। इस मौके पर उत्तराखण्ड के जन सरोकारों तथा विशेषकर गैरसैंण के संदर्भ में प्रकाशित संदर्भ ग्रन्थ ‘गैरसैंण से पुरूषोत्तम असनोड़ा का विमोचन भी किया गया। सात वर्षीय नन्हे रूद्रांश सिल्सवाल ने डॉ. अतुल शर्मा की कविता ‘पर्वत की चिट्ठी ले जाना, तू सागर की ओर, नदी तू बहती रहना। गाकर सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता महीपाल सिंह नेगी ने कहा कि पर्वतीय राज्य की अवधारणा को समझने के लिए हमें उसके इतिहास को टटोलना होगा। पर्वतीय राज्य में आज भी जनता के संघर्षों की बानगी उन्होंने अनेक उदाहरणों से बताई। विशिष्ट अतिथि गैरसैंण में श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम के परियोजना प्रबंधक गिरीश डिमरी ने कहा कि असनोड़ा जैसा व्यक्तित्व गैरसैंण को नई पहचान दे गया। इस अवसर पर जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने अपनी कई जन-सरोकारी कविताओं का वाचन भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि हमें तय करना होगा कि हम किस ओर हैं, तब इस राज्य की अवधारणा साकार रूप ले सकेगी। इस अवसर पर भाकपा माले के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी, गैरसैंण से पहुंचे भैरव दत्त असनोड़ा, देवभूमि विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष डा. चैतन्य भंडारी, डा. अरूण कुकशाल, विसर्जन सिंह बुटोला, हरीश रावत, शंभू प्रसाद गौड़, शिव दत्त पाठक, अनुसूया प्रसाद मलासी आदि मौजूद रहे। संचालन उमा घिल्डियाल ने किया। (एजेंसी)