बागेश्वर। जिला चिकित्सालय में बीती 10 जुलाई को सैनिक के बेटे की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। आरोप था कि फौजी के बेटे को पांच अस्पतालों के चक्कर काटने के बावजूद उचित इलाज नहीं मिल पाया। जिसके बाद सरकार ने बच्चे की मौत के प्रकरण में गंभीर लापरवाही बताते हुए अस्पताल में तैनात दोषी चिकित्सकों, अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है।
उत्तराखंड प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने अस्पताल में तैनात चिकित्सकों पर की गई कार्रवाई का तीखा विरोध किया है। सरकार से आर-पार की लड़ाई का मन बनाया है। संघ के मुताबिक, बागेश्वर के डॉक्टरों के विरुद्ध की गई मनमानी और एक तरफा की गई कार्रवाई का वह विरोध करते हैं। 10 जुलाई 2025 को एक बच्चा जो की अत्यंत गंभीर अवस्था में दिमागी बुखार से पीड़ित था, उसे शाम 6 जिला चिकित्सालय बागेश्वर लाया गया था। जहां बच्चे को इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर भूपेंद्र घटियाल ने देखा और बच्चे की स्थिति को देखते हुए बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकित कुमार को तत्काल कॉल किया। उस समय डॉक्टर अंकित कुमार अस्पताल में ही राउंड पर थे।
उन्होंने जब बच्चे को देखा, तब उसकी गंभीर हालत को देखते हुए सीमित संसाधनों के कारण हायर सेंटर रेफर कर दिया। उस दौरान उन्होंने 108 एंबुलेंस के आने तक बच्चे को जरूरी उपचार दिया और उसकी देखभाल की। उसके परिजनों ने बच्चे को सुशीला तिवारी मेडिकल हॉस्पिटल हल्द्वानी में भर्ती कराया। लेकिन गंभीर स्थिति के कारण 16 जुलाई 2025 को उसकी मौत हो गई।
उत्तराखंड प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज वर्मा का कहना है कि बागेश्वर अस्पताल के सभी डॉक्टरों और वहां तैनात मेडिकल स्टाफ ने कोई लापरवाही नहीं बरती है और ना ही किसी संवेदनहीनता का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि बागेश्वर जैसे दुर्गम और दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्र में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकित कुमार और अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक लोगों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनकी ओर से अस्पताल आने वाले मरीजों को बेहतर उपचार दिए जा रहा है। लेकिन इस तरह से डॉक्टरों के साथ अन्यायपूर्ण कार्रवाई करने से जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
डॉ. मनोज वर्मा ने कहा कि संघ के सभी डॉक्टर इस कार्रवाई का पूरी तरह से विरोध करते हैं। इस घड़ी में हम सब जिला अस्पताल बागेश्वर के डॉक्टरों के साथ खड़े हैं। अगर सरकार ने चिकित्सकों के खिलाफ की गई कार्रवाई को वापस नहीं लिया तो प्रदेश भर के डॉक्टर राज्य में उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए फौजी के बेटे की मौत मामले में सीएमएस समेत 8 डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक तपन शर्मा को पद से हटाकर स्वास्थ्य निदेशक कुमाऊं कार्यालय में संबद्ध किया गया है। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर अंकित कुमार पर प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। 108 एंबुलेंस चालक ईश्वर सिंह और लक्ष्मण कुमार को 1 महीने तक ड्यूटी से बाहर किया गया है। नर्सिंग अधिकारी महेश कुमार, हिमानी और कक्ष सेवक सूरज सिंह को भविष्य में लापरवाही की पुनरावृत्ति होने पर कठोर कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी गई है। डॉ. भूरेंद्र घटियाल को भी भविष्य में गलती दोहराने पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।