अनिल अंबानी समूह और राणा कपूर की कंपनियों पर सीबीआई का शिकंजा, दो मामलों में आरोपपत्र किया दाखिल

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नई दिल्ली ,केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दो मामलों में आरोपपत्र दाखिल किया है, जो अनिल अंबानी के एडीए समूह की कंपनियों और यस बैंक के पूर्व प्रमुख राणा कपूर तथा उनके परिवार की कंपनियों के बीच कथित फर्जी वित्तीय लेन-देन से जुड़े हैं। यह कार्रवाई सार्वजनिक धन की हेराफेरी के आरोपों की जांच के बाद की गई है।सीबीआई के अनुसार, इन मामलों में पहला आरोपपत्र रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) से जुड़ा है, जबकि दूसरा आरोपपत्र राणा कपूर की पत्नी बिंदु कपूर और बेटियों राधा कपूर तथा रोशनी कपूर की कंपनियों के बीच हुए संदिग्ध लेन-देन से संबंधित है। जांच एजेंसी ने बताया कि अनिल अंबानी उस समय एडीए ग्रुप के चेयरमैन और रिलायंस कैपिटल लिमिटेड के निदेशक थे, जो आरसीएफएल और आरएचएफएल की होल्डिंग कंपनी है।
गौरतलब है कि 2022 में यस बैंक के मुख्य सतर्कता अधिकारी की शिकायत के आधार पर ये दो आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। जांच में सामने आया कि 2017 में यस बैंक ने आरसीएफएल में लगभग 2045 करोड़ रुपये और आरएचएफएल में लगभग 2965 करोड़ रुपये का निवेश नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर और कमर्शियल डेट के रूप में किया था। यह निवेश राणा कपूर की मंजूरी से हुआ, जबकि उस समय केयर रेटिंग्स ने एडीए ग्रुप की वित्तीय स्थिति को निगरानी में रखा हुआ था।
सीबीआई के अनुसार, यह निवेश कई स्तरों पर घुमा-फिराकर उपयोग में लाया गया, जिससे सार्वजनिक धन की सुनियोजित हेराफेरी उजागर हुई। जांच में यह भी सामने आया कि राणा कपूर और अनिल अंबानी के बीच साजिश रची गई थी। राणा कपूर ने अपनी आधिकारिक हैसियत का दुरुपयोग करते हुए आर्थिक संकट में फंसी कंपनियों में यस बैंक के धन का निवेश कराया, जबकि इसके बदले में उनके परिवार की कंपनियों को रियायती दरों पर ऋण और निवेश प्राप्त हुआ।
सीबीआई का दावा है कि इस धोखाधड़ी के कारण यस बैंक को लगभग 2796.77 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि एडीए ग्रुप की कंपनियों और राणा कपूर के परिवार की कंपनियों को अवैध लाभ मिला।
जांच एजेंसी ने यह भी बताया कि अनिल अंबानी के निर्देश पर रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड्स ने वर्ष 2017-18 में राणा कपूर के परिवार की कंपनी मॉर्गेन क्रेडिट्स प्राइवेट लिमिटेड में 1160 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके अलावा रिलायंस निप्पॉन ने यस बैंक से एडीए ग्रुप के डिबेंचर भी 249.80 करोड़ रुपये में खरीदे।
सीबीआई का आरोप है कि यह पूरा लेन-देन एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य आपसी लाभ के लिए बैंक और निवेशकों की राशि का दुरुपयोग करना था।

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