केंद्र सरकार ने झारखंड हाईकोर्ट में शपथपत्र दायर किया, आदिवासी आबादी 44 से घटकर 28 फीसदी हुई

Spread the love

रांची , झारखंड के संथाल परगना इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले को लेकर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार ने झारखंड हाईकोर्ट में शपथपत्र के जरिए अपना जवाब दाखिल किया।इसमें बताया गया है कि संथाल परगना प्रमंडल की डेमोग्राफी में आदिवासी आबादी की हिस्सेदारी में 16 फीसदी की गिरावट आई है। यहां पहले आदिवासियों की आबादी 44 फीसदी थी, जो घटकर 28 फीसदी हो गई है। केंद्र सरकार ने आदिवासी आबादी में गिरावट के मुख्य रूप से दो कारण बताए हैं। पहला, पलायन और दूसरा धर्मांतरण।
केंद्र सरकार ने अपने जवाब में इस प्रमंडल के छह जिलों की डेमोग्राफी में विगत वर्षों में आए बदलाव की बात को स्वीकार किया है। बताया गया है कि इन जिलों में मुस्लिम आबादी में 20 से 40 फीसदी की वृद्धि हुई है। पाकुड़ और साहिबगंज में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी बढ़ी है। ईसाइयों की संख्या में छह हजार गुणा तक की वद्धि हुई है।
कोर्ट के निर्देश पर केंद्रीय एजेंसी यूआईडीएआई ने भी इस मामले में अपना पक्ष दाखिल किया है, जिसमें यह बताया गया है कि आधार नंबर से व्यक्ति विशेष की पहचान पूरी तरह संभव है, लेकिन यह किसी की नागरिकता का आधार नहीं हो सकता। इस मामले में गुरुवार को तकनीकी कारणों से कोर्ट में विस्तृत सुनवाई नहीं हो पाई। यह मामला अगले मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
बता दें कि इससे पहले 5 सितंबर को इस याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने कहा था कि संथाल परगना में बांग्लादेशियों की घुसपैठ की स्थिति अलार्मिंग है। इसकी वजह से इलाके की डेमोग्राफी प्रभावित हो रही है। इसी वजह से आदिवासी आबादी के प्रतिशत में गिरावट भी गंभीर विषय है। घुसपैठिए झारखंड के रास्ते देश के अन्य राज्यों में घुसकर वहां की आबादी को प्रभावित कर सकते हैं।
इस मामले में संथाल परगना प्रमंडल के छह जिलों के उपायुक्तों की ओर से पूर्व में दाखिल किए गए जवाब में बांग्लादेशी घुसपैठ से इनकार किया गया था। इसपर कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि अगर घुसपैठ का एक भी मामला मिला तो संबंधित उपायुक्त पर अवमानना का केस चल सकता है। बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका जमशेदपुर निवासी दानियल दानिश ने दायर की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *