लक्षद्वीप को बड़ा पर्यटन स्थल बनाएगी केन्द्र सरकार, 8 नई परियोजनाएं शुरू करने की तैयारी
नईदिल्ली, केंद्र सरकार लक्षद्वीप को मालदीव की तरह शानदार पर्यटन स्थल बनाना चाहती है। इसके लिए सरकार जल्द ही 8 नई परियोजनाएं शुरू करने की तैयारी कर रही है।303 करोड़ रुपये की पहली परियोजना पर जल्द ही काम शुरू होगा। इसके लिए निविदाएं भी जारी कर दी गई हैं।बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद से ही लक्षद्वीप को मालदीव के विकल्प के तौर पर विकसित किया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जिन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, उनमें कावरत्ती, अगाथी और मिनिकॉय द्वीपों पर बड़े जहाजों के आने की क्षमता विकसित करना, कल्पेनी, कदमथ और एंड्रोथ द्वीपों पर पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाओं का विकास करना और कल्पेनी और कदमथ द्वीप पर क्रूज जहाजों के संचालन वाले जेटी का निर्माण शामिल है।पहली परियोजना के तहत, कदमथ द्वीप पर जेटी निर्माण के लिए 4 दिसंबर को निविदाएं आमंत्रित की गई हैं।
पहली परियोजना में कोच्चि से लगभग 407 किलोमीटर दूर कदमथ द्वीप में पूर्वी और पश्चिमी किनारों पर जेटी और दूसरी जरूरी यात्री सुविधाएं विकसित करना है।विश्वस्तरीय मानकों को ध्यान में रखते हुए सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त एक यात्री प्रतीक्षालय भी बनाया जाएगा।इसके अलावा 360 मीटर लंबी एक जेटी बनाई जाएगी, जहां से यात्री जहाजों के साथ-साथ क्रूज जहाजों का भी संचालन किया जा सकेगा।बता दें कदमथ 9.3 किलोमीटर लंबा और 0.57 किलोमीटर चौड़ा द्वीप है।
सरकार की योजना लक्षद्वीप में एक मल्टीमॉडल जेटी को विकसित करने की है, जहां से यात्री जहाजों का पूरे साल संचालन किया जा सके। इससे द्वीप तक कनेक्टिविटी बढ़ेगी और पर्यटकों की पहुंचना भी आसान होगा।इसके अलावा, सरकार लक्षद्वीप के सभी द्वीपों में बंदरगाह और शिपिंग संरचना विकसित करना चाहती है, जिससे बिना बाधा के शिपिंग सेवाएं और यात्री और कार्गो हैंडलिंग हो सके।इन परियोजनाओं को मुख्यत: सागरमाला परियोजना के तहत पूरा किया जाएगा।
जनवरी में प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप की यात्रा की थी। उन्होंने यात्रा की कुछ तस्वीरें भी साझा की थीं, जिन पर मालदीव के मंत्रियों ने विवादित टिप्पणियां की थीं। भारत की आपत्ति के बाद इन मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया गया था।
लक्षद्वीप 36 छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है। केरल के कोच्चि से करीब 440 किलोमीटर दूर स्थित ये जगह रणनीतिक नजरिए से भी काफी अहम है।यहां की कुल आबादी करीब 64,000 है। इसमें से भी 95 प्रतिशत मुस्लिम हैं।आदिवासियों की संस्कृति को बचाए रखने की वजह से यहां पर जाने के लिए आम भारतीयों को परमिट लेना जरूरी होता है।हालांकि, भारतीय सेना के जवान, उनके परिजन और सरकारी अधिकारियों को परमिट से छूट मिली हुई है।