चकबंदी मामले हीलाहवाली पर हाईकोर्ट सख्त,कृषि मंत्री व रानीखेत विधायक को नोटिस
नैनीताल। हाईकोर्ट ने राज्य में चकबंदी लागू करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुबोध उनियाल व रानीखेत के विधायक करन मेहरा को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मंन्त्री से पूछा है कि स्वेच्छिक चकबंदी नियमावली लागू करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाया। वहीं रानीखेत के विधायक से पूछा है कि उनके द्वारा इस मामले में क्या किया गया।
भले ही सरकार ने चकबंदी अधिनियम बना दिया हो मगर राज्य की नौकरशाही इस मामले में होने वाली माथापच्ची को राजी नहीं है। आलम यह है कि चकबंदी अधिनियम में स्वैच्छिक चकबंदी के प्रावधान के बाद ग्रामीण ने पूरी कार्रवाई की बावजूद इसके मामला लटका है। इसको लेकर ग्रामीण काफी समय से परेशान है।
राज्य में 2016 में चकबंदी अधिनियम बनने के बाद उसी साल नियमावली भी बनाई गई। रानीखेत के झलोड़ी निवासी केवलानंद तिवारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायक कर गांव को मडल चकबंदी गांव बनाने तथा राज्य में स्वैच्छिक चकबंदी के प्रावधान को तत्काल लागू करने की मांग उठाई है। तिवारी का कहना है कि गांव के 90 फीसद काश्तकारों ने खातों की जानकारी एकत्र कर स्वैच्छिक चकबंदी का निर्णय लिया। 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के निर्देश पर जिलाधिकारी अल्मोड़ा ने गांव का निरीक्षण किया मगर उसके बाद सरकारी अमले ने पीठ फेर ली।
तिवारी के अनुसार काश्तकारों ने आपस में चक भी बना दिए मगर अफसर कार्रवाई की राजी नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य में खेती की भूमि बिखरी हुई है। राजस्व के साथ सिविल भूमि, वर्ग चार, वर्ग पांच की भूमि है। जिसके खातों की जानकारी बेहद चुनौतीपूर्ण है। उत्तर प्रदेश के दौर में पहाड़ की जमीनों की पैमाइश हुई थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद पक्षकारों को नोटिस जारी किया है।