सड़क से शिवालय तक गूंजे बम-बम भोले के जयकारे
शिवरात्रि पर मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़
कोटद्वार व आसपास के शिवालयों में होती रही विशेष पूजा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि पर कोटद्वार के साथ ही आसपास का क्षेत्र बम-बम भोले के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धांलुओं ने शिवालयों में पहुंचकर भगवान शंकर का अभिषेक किया। पूरे दिन शिवालयों में विशेष पूजा का दौर चलता रहा। वहीं, व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए मंदिर परिसर में पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई थी।
महाशिवरात्रि पर मंदिरों को विशेष फूलों से सजाया गया था। कांवड़ियों ने शिव के जयकारों के साथ ब्रह्म मुहूर्त से ही शिवालयों पर जलाभिषेक शुरू कर दिया था। सुबह होने तक मंदिरों में श्रद्धालुओं की कतार लग गई थी, जो शाम तक बदस्तूर जारी रही। क्षेत्र में सिद्धबली मंदिर, फलाहारी बाबा मंदिर शिवालय, दुर्गा देवी मंदिर, शिवालिक नगर स्थित शिवालय, मनकामेश्वर महादेव मंदिर, सुखरो देवी मंदिर, बालाजी मंदिर, सनेह स्थित पुराना सिद्धबाबा मंदिर, लक्ष्मी-नारायण मंदिर, शिवशक्ति मंदिर (मानपुर) सहित नगर के तमाम मंदिरों में श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर बेल पत्र, दूध व जल चढ़ाकर मन्नतें मांगी। भाबर क्षेत्र के अंतर्गत प्रसिद्ध गुलरझाला मंदिर में श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर जलाभिषेक किया।
भाबर क्षेत्र के मंदिरों में भी रही भीड़
शिवरात्रि पर कोटद्वार नगर के साथ ही भाबर क्षेत्र के विभिन्न शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही। लोगों ने घंटों लाइन में खड़े रहकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया। देर शाम तक मंदिरों में श्रद्धालुओं का आना जाना बना रहता। साथ ही जलाभिषेक के साथ शंकर भगवान की विशेष पूजा अर्चना भी की जा रही थी।
भंडारे का लिया आनंद
शिवरात्रि पर क्षेत्र के प्रसिद्ध श्री सिद्धबली मंदिर में भंडारे का आयोजन किया गया था। भक्तों ने मंदिर दर्शन के बाद भंडारे का भी आनंद लिया। सुबह से ही भंडारे के लिए मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई थी।
मंदिरों के आसपास लगा रहा वाहनों का जाम
मंगलवार सुबह क्षेत्र के शिवालयों में भारी भीड़ उमड़ी हुई थी। सबसे अधिक भीड़ श्री सिद्धबली मंदिर व पौराणिक शिवालय में देखी गई। इसके कारण सिद्धबली मंदिर को जाने वाले रास्तों पर भारी जाम की स्थिति बनी रही। श्रद्धालुओं को घंटों जाम में फंसकर जाम खुलने का इंतजार करना पड़ा। जगह-जगह सड़क किनारे बेतरतीब तरीके से खड़े वाहनों के कारण श्रद्धालुओं का पैदल चलना भी मुश्किल हो गया था।