नहाय-खाय के साथ छठ पर्व का शुभांरभ, 36 घंटे का निर्जला व्रत

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हरिद्वार()। छठ महापर्व का शुभारंभ हो गया है। नहाय खाय के साथ ही व्रत की शुरुआत होती है। इस दिन व्रती स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। नहाय-खाय वाले दिन से ही छठ का प्रसाद बनाने की तैयारी शुरू कर दी जाती है। व्रती के साथ घर के सदस्य मिलकर इसकी तैयारी करते हैं। छठ का प्रसाद बनाने के लिए चूल्हा और बर्तन बिल्कुल अलग होता है। इसके अलावा व्रती और परिवार के सदस्यों को लहसुन, प्याज इत्यादि खाना वर्जित होता है। नहाय खाय के साथ ही निर्जला व्रत भी शुरू हो जाता है। नहाय खाय के साथ आज शनिवार से छठ महापर्व शुरू हो गया है। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया। हरिद्वार में पूर्वांचल समाज के लोगों ने नहाय-खाय के साथ इस पवित्र पर्व का शुभारंभ किया। इस अवसर पर विष्णुलोक कॉलोनी से भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया। जिसमें जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर उमाकांतानंद सरस्वती महाराज मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कलश यात्रा में पूर्वांचल समाज की महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और पारंपरिक वेशभूषा में कलश सिर पर रख कर यात्रा में शामिल हुईं। यात्रा में कई स्थानीय नेता और समाजसेवी भी पहुंचे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजबीर चौहान ने कहा कि छठ पर्व अब न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह पर्व भारतीय संस्कृति की गहराई और परिवारिक एकता का प्रतीक है। महिलाओं ने आज नहाय-खाय के साथ व्रत की शुरुआत कर दी है और आने वाले दिनों में वे अपने पति व परिवार की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखकर डूबते सूर्य देव को अर्ग अर्पित करेंगी। कलश यात्रा विष्णुलोक कॉलोनी से प्रारंभ होकर विभिन्न कॉलोनियों से होते हुए प्रेम नगर आश्रम घाट पर संपन्न हुई।
दून में 23 से अधिक घाटों पर छठ पूजा होगी। छठ महापर्व के पहले दिन शनिवार को नहाय खाय होगा। इसके बाद से ही निर्जला व्रत भी शुरू हो जाएगा। चार दिन तक छठ पूजा की रस्में होंगी।

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