बच्चों ने सीखी बोली, भाषा और लोकगीत की बारीकियां

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श्रीनगर गढ़वाल : राजकीय इंटर कॉलेज खण्डाह में उलार रचनात्मक शिविर के तीसरे दिन गुरूवार को बच्चों ने अपनी बोली, भाषा और लोकगीतों की बारीकियां सीखी। इस अवसर पर संगीतकार व शिक्षक डा. सुभाष पाण्डेय ने बच्चों के बीच जाकर उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समझाने का प्रयास किया। पाण्डेय ने कहा कि नयी शिक्षा नीति 2020 के आलोक में ये महत्वपूर्ण विषय है कि हम अपनी लोक संस्कृति, लोक परम्पराओं बोली भाषा के सवद्र्धन संरक्षण व प्रचार-प्रसार में भूमिका तय करें। इस दौरान बच्चों ने लोकगीत व लोकभाषा व लोक परंपराओं में प्रचलित लोक गीतों की प्रमुख शैलियों थडिया, चौंफला, चैती गीत, झूमेला, बाजूबंद, नंदा देवी के परंपरागत गीत वीर भड़ों के शौर्य पर आधारित पवाड़ा गायन को समझा। गढ़कवि देवेंद्र उनियाल ने अपनी दो रचनाओं बोई व ढूगू के माध्यम से लोकभाषा से परिचय कराते हुए उसके प्रचार-प्रसार के लिए बच्चों को प्रेरित किया। योग प्रशिक्षक कमल रावत ने योग की विभिन्न क्रियाओं आसनों के बारे में बताया। गढ़वाल विवि के लोककला निष्पादन केंद्र के वाजपेयी ने बच्चों को थियेटर की महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रशिक्षण दिया। इस मौके पर शिक्षक प्रदीप रावत, हेम चंद्र मंमगाई, प्रदीप अथ्वाल, अरविंद नेगी, दीपक भैगवाल, अभिषेक बहुगुणा, अंकित उछोली, प्रियंका खत्री, अरूण ढौडियाल, जयकृष्ण पैन्यूली, रिया मंमगाई, पवन ग्वाडी, महेश गिरी आदि मौजूद थे। (एजेंसी)

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