चीन की हिमाकत, भारत से सटी सीमाओं पर तैनात की और तोपें
नई दिल्ली, एजेंसी। दुनिया को अपनी विस्तारवादी नीतियों से सांसत में डालने वाले चीन ने भारत से सटी सीमाओं पर तिब्बत से लेकर कालापानी घाटी के ऊपर तक बड़ी संख्घ्या में तोंपों और सैनिकों की तैनाती कर दी है। आइएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इन तोपों तैनाती तिब्बत की 4,600 मीटर की ऊंचाई पर जुलाई के अंतिम हफ्ते में की गई। इतना ही नहीं चीन ने तिब्बत के सैन्य जिले में 77 कांबैट कमांड के 150 लाइट कंबाइन्ड आर्म्स ब्रिगेड की तैनाती भी कर दी है। इस कदम से दुनिया के सामने शांति का राग अलापने वाले चीन की मंशा पर शंका हो रही है।
चीन ने कंबाइन्ड आर्म्स ब्रिगेड का गठन अमेरिका की नकल करके की है। यह अमेरिकन ब्रिगेड कंबैट टीम का एडेप्टेशन है जिससे विभिन्न सैन्य बलों को एक साथ काम करने में मदद मिलती है। सूत्रों का कहना है कि चीन ने तिब्बत के काफी ऊंचाई वाले क्षेत्र में तैनाती कई गुना बढ़ा दी है। चीन ने कंबाइन्ड आर्म्स ब्रिगेड की तैनाती भारत से लगे लाइन अफ एक्चुल कंट्रोल के पास की है। दुनिया के सामने बातचीत और सीमा पर शांति की बात करने वाले चीन की मंशा उसके इसी कदम से साफ हो जाती है।
सूत्रों ने बताया कि चीन ने इन तोपों और दूसरे भारी शस्त्रों की तैनाती वास्घ्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के तीन सेक्टरों पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) और पूर्व के सेक्टरों (सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश) में की है। यही नहीं चीनी सेना ने अपने जवानों को भारी संख्घ्या में उत्तराखंड के लिपुलेख पास में भारत, चीन और नेपाल के तिराहे पर कालापानी घाटी के ऊपर भी तैनात कर दिया है। चीन ने यह तैनाती तनाव घटाने को लेकर जारी वार्ता प्रक्रियाओं के बीच की है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि चीन ने वादा खिलाफी करते हुए इन तैनातियों के साथ ही सीमावती इलाकों में परमानेंट स्ट्रक्चर भी बना लिए हैं। बता दें कि सीमा से सैनिकों की वापसी को लेकर भारत और चीनी सेना के बीच कई राउंड की बातचीत हो चुकी है। लेकिन चीन की ओर से उकसावे वाली कार्रवाईयां अभी भी जारी हैं। चीन ने वादा किया था कि वह सीमा पर पूर्व की स्थिति को बहाल करते हुए आपत्ति वाले इलाकों से अपने सैनिकों को वापस बुला लेगा। बता दें कि 15 जून को चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवानों ने वीरगति पाई थी। इसमें चीनी सेना के भी कई जवान मारे गए थे। हालांकि शातिर चीन ने दुनिया के सामने आज तक मारे गए अपने जवानों की संख्घ्या नहीं बताई है।