चीन को रोकने के लिए भारत के साथ दोस्ती बढ़ाएगा अमेरिका कहा- श्ड्रैगन की हरकत चिंताजनक

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नई दिल्ली, एजेंसी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने कहा है कि वह भारत तथा अन्य देशों के साथ नए नियमों और समझौतों को आकार देने के लिए मिल कर काम करेगा। वैश्विक नेतृत्व का लक्ष्य रखते हुए अमेरिका यह सुनिश्चित करेगा कि हठधर्मी एवं सत्तावादी चीन नहीं बल्कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय एजेंडा तैयार करे। ये बातें बाइडेन प्रशासन की बुधवार को जारी इंटरिम नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटजिक गाइडेंस में कही गईं।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि यह अमेरिका के उस दृष्टिकोण को पेश करता है कि कैसे हम अमेरिकी प्रभुत्व को देश में तथा विदेशों में आगे बढ़ाने के लिए इस दुर्लभ अवसर का इस्तेमाल कर सकते हैं। व्हाइट हाउस ने अपने इंटरिम नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटजिक गाइडेंसमें कहा कि यह एजेंडा इसके स्थाई लाभ को और मजबूत करेगा और चीन अथवा किसी भी देश के साथ सामरिक प्रतिस्पर्द्धा में टिके रहने की ताकत देगा।
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका भारत के साथ अपनी साझेदारी को प्रगाढ़ करेगा और साझा उद्देशों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए न्यूजीलैंड, सिंगापुर, वियतनाम और आसियान के अन्य सदस्य देशों के साथ मिल कर काम करेंगे।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि देश के राष्ट्रपति जो बाइडेन के नेतृत्व वाला प्रशासन 5जी को उच्च प्राथमिकता देता है और वह ऐसे उपकरण के साथ नेटवर्क लगाने के खतरों को लेकर चिंतित है, जिनसे चीन टेड़छाड़ कर सकता है या जिन्हें वह नियंत्रित या बाधित कर सकता है। अमेरिका का आरोप है कि चीन मानवाधिकारों एवं निजता का कोई सम्मान नहीं करता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, बाइडेन प्रशासन 5जी को निस्संदेह उच्च प्राथमिकता देता है। हम ऐसी जीवंत डिजिटल अर्थव्यवस्था का समर्थन करते हैं, जो सभी नागरिकों को 5जी वायरलेस नेटवर्क का लाभ लेने में समक्ष बनाए। हम यह भी जानते हैं कि इस प्रकार के नेटवर्क की सुरक्षा कितनी अहम है। उन्होंने कहा कि 5जी निस्संदेह परिवर्तनकारी है, यह जीवन के हर पहलू को टुएगा और यह परिवहन, विद्युत आवंटन, स्वास्थ्यसेवा एवं जनस्वास्थ्य जैसे बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के लिए अहम है।
प्राइस ने कहा कि इसीलिए हम ऐसे उपकरण के साथ नेटवर्क लगाने के खतरों को लेकर चिंतित हैं, जिनसे चीन टेड़छाड़ कर सकता हैं, जिन्हें वह बाधित या नियंत्रित कर सकता है। हम जानते हैं कि चीन मानवाधिकारों या निजता का सम्मान नहीं करता।

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