चुनाव आयोग की नई गाइडलाइन दिव्यांग और 80 साल से अधिक उम्र के लोग कर सकेंगे पोस्टल बैलट का इस्तेमाल
तय समय पर ही होंगे बिहार में विधानसभा चुनाव
पटना अपने इस फैसले से चुनाव आयोग ने ये संकेत दे दिया है कि बिहार में विधानसभा चुनाव तय समय पर ही होंगे। अक्टूबर-नवंबर के महीने में बिहार में चुनाव होने वाले हैं। हालांकि विपक्षी दल बाढ़ और कोरोना से त्रस्त राज्य में चुनाव को टालने की मांग कर रहे हैं। एनडीए में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी भी अभी चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है।चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश के अनुसार उम्मीदवार को नामांकन पत्र, शपथ पत्र और नामांकन को लेकर सिक्युरिटी मनी अनलाइन ही जमा करना होगा। चुनाव कार्य को लेकर सभी व्यक्ति मास्क लगाएंगे। चुनाव से जुड़े हल, रूम या परिसर में प्रवेश के दौरान थर्मल स्कैनिंग की जाएगी। वहां सेनिटाइजर, साबुन और पानी की व्यवस्था की जाएगी। सभी को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। घर-घर जाकर पांच लोगों को संपर्क की अनुमति दी जाएगी।
बिहार के दलों से इलेक्शन कमीशन ने विधानसभा चुनाव कराने को लेकर राय मांगी थी। विपक्षी दल आरजेडी समेत एलजेपी ने भी चुनाव टालने की बात कही थी। आरजेडी ने कहा था कि राज्य में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और विशेषज्ञों ने शंका जताई है कि चुनाव के समय तक इसमें काफी बढ़ोत्तरी दर्ज होगी। दूसरी तरफ राज्य का एक हिस्सा बाढ़ में डूबा हुआ है। ऐसे में अक्टूबर-नवंबर में चुनाव कराना सही नहीं होगा।
22 जुलाई को मीडिया से बात करते हुए बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह दिया था कि लाशों की ढेर पर हम चुनाव नहीं होने देंगे। लोकतंत्र में लोक नहीं रहेगा तो तंत्र का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। उन्होंने कहा था कि बिहार की स्थिति भयावह और नाजुक है। गांव के गांव बाढ़ से त्रस्त हैं। हम चुनाव आयोग से निवेदन करते हैं कि वो इसपर विचार करे। लोग मर रहे हैं। ऐसे में वो वोट करने कैसे जा पाएंगे।
एलजेपी ने 31 जुलाई को चुनाव आयोग को पत्र लिख कहा था कि राज्य सरकार को फिलहाल संसाधनों का इस्तेमाल कोरोना संकट पर अंकुश लगाने और बाढ़ से निपटने के लिए करना चाहिए। अभी चुनाव पर ध्यान केंद्रित करने का समय नहीं है। पार्टी ने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी ने पहले ही खतरनाक रूप धारण कर लिया है। आगे स्थिति और गंभीर होने संभावना है। एलजेपी ने कहा था कि एक बड़ी आबादी के जीवन को खतरे में डालकर चुनाव कराना बिल्कुल अनुचित होगा। ऐसी स्थिति में चुनाव कराना लोगों को जान बूझकर मौत की तरफ धकेलने जैसा होगा।
तय समय पर ही होंगे बिहार में विधानसभा चुनाव
पटना अपने इस फैसले से चुनाव आयोग ने ये संकेत दे दिया है कि बिहार में विधानसभा चुनाव तय समय पर ही होंगे। अक्टूबर-नवंबर के महीने में बिहार में चुनाव होने वाले हैं। हालांकि विपक्षी दल बाढ़ और कोरोना से त्रस्त राज्य में चुनाव को टालने की मांग कर रहे हैं। एनडीए में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी भी अभी चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है।चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश के अनुसार उम्मीदवार को नामांकन पत्र, शपथ पत्र और नामांकन को लेकर सिक्युरिटी मनी अनलाइन ही जमा करना होगा। चुनाव कार्य को लेकर सभी व्यक्ति मास्क लगाएंगे। चुनाव से जुड़े हल, रूम या परिसर में प्रवेश के दौरान थर्मल स्कैनिंग की जाएगी। वहां सेनिटाइजर, साबुन और पानी की व्यवस्था की जाएगी। सभी को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। घर-घर जाकर पांच लोगों को संपर्क की अनुमति दी जाएगी।
बिहार के दलों से इलेक्शन कमीशन ने विधानसभा चुनाव कराने को लेकर राय मांगी थी। विपक्षी दल आरजेडी समेत एलजेपी ने भी चुनाव टालने की बात कही थी। आरजेडी ने कहा था कि राज्य में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और विशेषज्ञों ने शंका जताई है कि चुनाव के समय तक इसमें काफी बढ़ोत्तरी दर्ज होगी। दूसरी तरफ राज्य का एक हिस्सा बाढ़ में डूबा हुआ है। ऐसे में अक्टूबर-नवंबर में चुनाव कराना सही नहीं होगा।
22 जुलाई को मीडिया से बात करते हुए बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह दिया था कि लाशों की ढेर पर हम चुनाव नहीं होने देंगे। लोकतंत्र में लोक नहीं रहेगा तो तंत्र का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। उन्होंने कहा था कि बिहार की स्थिति भयावह और नाजुक है। गांव के गांव बाढ़ से त्रस्त हैं। हम चुनाव आयोग से निवेदन करते हैं कि वो इसपर विचार करे। लोग मर रहे हैं। ऐसे में वो वोट करने कैसे जा पाएंगे।
एलजेपी ने 31 जुलाई को चुनाव आयोग को पत्र लिख कहा था कि राज्य सरकार को फिलहाल संसाधनों का इस्तेमाल कोरोना संकट पर अंकुश लगाने और बाढ़ से निपटने के लिए करना चाहिए। अभी चुनाव पर ध्यान केंद्रित करने का समय नहीं है। पार्टी ने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी ने पहले ही खतरनाक रूप धारण कर लिया है। आगे स्थिति और गंभीर होने संभावना है। एलजेपी ने कहा था कि एक बड़ी आबादी के जीवन को खतरे में डालकर चुनाव कराना बिल्कुल अनुचित होगा। ऐसी स्थिति में चुनाव कराना लोगों को जान बूझकर मौत की तरफ धकेलने जैसा होगा।
कोरोना काल में चुनाव के लिए नए नियम
नई दिल्ली। कोरोना काल में होने जा रहे सभी आम चुनाव और उपचुनावों के लिए निर्वाचन आयोग ने नियम कायदे जारी कर दिए हैं। इसमें साफ किया गया है कि चुनाव संबंधी सभी कामकाज कोरोना से बचाव के उपायों को अपनाना होगा। चुनाव संबंधित हर गतिविधि के दौरान मास्क पहनने के साथ सोशल डिस्टेंशिंग के नियमों का पालन करना होगा। चुनाव प्रचार से लेकर मतदान तक काफी अलग होगा। चुनाव आयोग ने सभी गतिविधियों के लिए खास नियम जारी किए हैं। दिव्यांगों, 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, जरूरी सेवाओं में जुटे कर्मचारियों और कोरोना संक्रमितों के अलावा संभावित लोगों को पोस्टल बैलेट से मतदान की सुविधा दी जाएगी।मतदान से एक दिन पहले बूथों को सैनिटाइज किया जाएगा। सभी मतदान केंद्रों के प्रवेश द्वार पर थर्मल स्कैनर की व्यवस्था होगी। पोलिंग स्टाफ या पैरा मेडिकल स्टाफ या आशा वर्कर के जरिए सभी मतदाताओं की थर्मल स्कैनिंग की जाएगी। यदि किसी मतदाता के शरीर का तापमान स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से तय मापदंड से अधिक हुआ तो दोबारा उसका तापमान मापा जाएगा यदि इस बार भी अधिक रहा तो ऐसे मतदाताओं को एक टोकन दिया जाएगा और मतदान के आखिरी घंटे में आने के लिए कहा जाएगा। ऐसे मतदाता को कोविड-19 संबंधित अधिक एहतियातों के साथ अंत में मतदान कराया जाएगा।