वीरबाला तीलू रौतेली के बलिदान दिवस पर चलाया स्वच्छता अभियान

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : विकासखण्ड एकेश्वर के अन्तर्गत पब्लिक इंटर कॉलेज सुरखेत की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई और एच.एन.बी. गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के पर्वतीय पर्यटन और आतिथ्य अध्ययन केन्द्र के सैर सलीका ट्रैवल मैनर्स क्लीन इंडिया कैम्पेन के तहत उत्तराखण्ड की गढ़ वीरांगना वीरबाला तीलू रौतेली के बलिदान दिवस पर ब्लॉक मुख्यालय पणखेत के निकट जणदा देवी स्थित तीलू रौतेली प्रतिमा स्थल की साफ-सफाई व सौन्दर्यीकरण का कार्य किया गया।
विद्यालय के प्रधानाचार्य पुष्कर सिंह नेगी ने जानकारी देते हुए बताया कि शौर्य और पराक्रम की प्रतिमूर्ति उत्तराखण्ड की गढ़ वीरांगना तीलू रौतेली का जन्म 08 अगस्त 1661 को चौंदकोट के गुराड़ तल्ला गांव के भूप सिंह रावत के घर में हुआ था। 15 साल की उम्र में उनकी सगाई श्रीकोटखाल के ईड़ा तल्ला गांव के भवानी सिंह नेगी के साथ हुई थी। उस समय उत्तराखण्ड के गढ़वाल क्षेत्र में कत्यूरियों का साम्राज्य था। उनके पिता गढ़वाल नरेश के सभासद थे जो कत्यूरों के हमलों में मारे गये। इसके प्रतिशोध में तीलू रौतेली के मंगेतर भवानी सिंह नेगी और उसके दो भाई भगतू और पत्वा ने भी युद्धभूमि में कत्यूरों के साथ बलिदान हो गये। मां के तानों और डांट ने तीलू रौतेली को 15 वर्ष की उम्र में रणभूमि की शेरनी बना दिया। सात साल तक कत्यूरी राजाओं को कड़ी चुनौती देते हुए उन्होंने 13 गढ़ों/किलों पर विजय प्राप्त करके अपने पराक्रम का लोहा मनवाया। मात्र 22 साल की उम्र में 15 मई 1683 को जब वे एक युद्ध में विजय प्राप्त करके वापस लौट रही थी तो कांडा गांव के ठीक नीचे पूर्वी नयार नदी में अपने शस्त्र किनारे रखकर जब वो स्नान कर रही थी तो जंगल में छिपे रामू रजवार नाम के एक कत्यूरी सैनिक ने उन पर पीछे सेहमला कर दिया। इस घायल शेरनी ने वीरगति को प्राप्त करने से पहले उस सैनिक को भी हमला करके वहीं पर मौत की नींद सुला दिया। स्वच्छता अभियान में एनएसएस के स्वयं सेवक रोहित, विश्वजीत रावत, सुमित नेगी, प्रिंस, आयुष, गौरव चौहान, प्रियांशु, अरविन्द, सूरज सिंह, अतुल थपलियाल, किशन सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता दीपक रावत व अन्य स्थानीय युवकों ने सहयोग किया।

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