गुरुवार रात हुई तेज बारिश के दौरान केलापानी की पहाड़ी में फटा बादल
पहाड़ से आए भारी मलबे से सीएचसी सेंटर व दुकान की टूटी दीवार
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : दुगड्डा ब्लॉक के अंतर्गत आमसौड़ गांव के ऊपर केलापानी की पहाड़ी पर गुरुवार रात बादल फट गया। इस दौरान पहाड़ी से आए भारी मलबे व बोल्डर की चपेट में आने से राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित एक सीएचसी सेंटर व दुकान की दीवार टूट गई। वहीं, कई घरों में मलबा भी भर गया। देर रात हुई घटना के बाद परिवारों को पंचायत भवन में शरण लेनी पड़ी। वर्षा थमने के बाद ग्रामीण घरों से मलबा हटाने के कार्य में जुटे। वहीं, राष्ट्रीय राजमार्ग के मलबे को जेसीबी व पोकलेंड मशीन से हटाया गया।
गुरुवार रात आमसौड़ क्षेत्र में तेज बारिश हो रही थी। रात करीब ढाई बजे अचानक केलापानी की पहाड़ी पर बादल फटा और भारी मलबा व बोल्डर गांव के ऊपर गिर गया। आनन-फानन में ग्रामीण रात के अंधरे में घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थान तक पहुंचे। मलबे की चपेट में आने से राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित सुशील के सीएचसी सेंटर व दुकान के भवन की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई। दुकान में भारी मलबा व बोल्डर भरने से सामान भी बर्बाद हो गया। क्षेत्र पंचायत सदस्य कुंदन सिंह ने बताया कि पहाड़ी से आया भारी बोल्डर व मलबा राष्ट्रीय राजमार्ग के नीचे स्थित सुरेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह, मोहन सिंह के घर में भी घुस गया। वर्षा थमने के बाद ग्रामीणों ने एकजुट होकर घरों से मलबा हटाने का कार्य प्रारंभ किया। गत वर्षाकाल से ही गांव के ऊपर स्थित केलापहाड़ी से लगातार भूस्खल हो रहा है। डेढ़ माह पूर्व छह जुलाई को भी पहाड़ी का हिस्सा दरकते हुए भारी मलबे व बोल्डर के साथ गांव के ऊपर गिर गया था। जिससे पहाड़ी के नीचे कई भवनों के कमरों में मलबा भर गया था। साथ ही गांव के लिए बिछाई गई पेयजल लाइन भी टूट गई थी। इसके बाद से ग्रामीण लगातार उनके विस्थापन की मांग उठा रहे थे। लेकिन, उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया।
पलायन को मजबूर ग्रामीण
आमसौड़ गांव में लगातार हो रहे भूस्खल की घटना से ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है। सुरक्षा को देखते हुए गांव में पहाड़ी के नीचे रहने वाले 25 परिवारों में से दस परिवार कोटद्वार व दुगड्डा में किराए के कमरे में शिफ्ट हो गए थे। जबकि, अन्य परिवार पंचायत भवन में रह रहे हैं। ऐसे में अब गुरुवार रात हुई घटना के बाद से राष्ट्रीय राजमार्ग के नीचे रहने वाले सैकड़ों परिवारों पर भी खतरा मंडराने लगा है। यह परिवार भी पलायन को मजबूर हो रहे हैं।