लोकभाषाओं को बोलने वालों की कमी पर जाताई चिंता

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धाद सामाजिक संस्था की ओर से आयोजित किया गया कार्यक्रम
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : नगर निगम के अंतर्गत अजीम प्रेमजी सभागार में धाद सामाजिक संस्था द्वारा फूलदेई पर्व संवाद श्रंखला के अंतर्गत मातृभाषा और प्राथमिक शिक्षा विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में वक्ताओं ने उत्तराखंड की लोकभाषाओं को बोलने वालों की संख्या में कमी होने पर चिंता व्यक्त की। कार्यक्रम का आरम्भ मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ नन्हें बच्चों द्वारा सरस्वती वंदना का गायन कर किया गया।
गोष्ठी में प्रो. बलवंत सिंह नेगी ने कहा कि मातृभाषा के संवर्धन एवं विकास के लिए सरकारों को भी पहल करनी होगी। संस्था के केन्द्रीय सचिव तन्मय ममगांई ने कहा कि उत्तराखंड में मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा की बात निरंतर विचार विमर्श में मौजूद रही है। कार्यक्रम के दौरान राप्रावि मेरुड़ा की छात्रा पावनी द्वारा गढ़वाली भाषा में कहानी वाचन किया गया। प्रियांशी द्वारा गढ़वाली कविता प्रस्तुत की गई। साथ ही अन्य छात्रों ने भी गढ़वाली भाषा में कार्यक्रम प्रस्तुत किए। पूर्व शिक्षक जागेश्वर जोशी ने कहा कि मातृभाषा के संरक्षण के लिए परिवार के सदस्यों की पहले पहल करनी चाहिए। बच्चों को यदि अपनी मातृभाषा में पूर्व कक्षाओं में शिक्षण कराया जाए तो उसका संवेगात्मक विकास अच्छा होता है। कहा कि यूनेस्को द्वारा 2010 में किये गये भाषायी सर्वे में विश्व में विलुप्ति की कगार पर पहुंचने वाली भाषाओं में उत्तराखण्ड की लोकभाषाएं भी हैं, जिन्हें बोलने वालो की संख्या निरंतर घट रही है।

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