संपादकीय

बयान पर घमासान

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18वीं लोकसभा की कार्रवाई में अभी तक ऐसा एक भी दिन नजर नहीं आया है जहां बिना गतिरोध के जनहित के मामलों को लेकर काम हो रहा हो। पूरा सदन आप और प्रत्यारोप की राजनीति के बीच झूल रहा है तो इधर राहुल गांधी के सदन में दिए गए एक बवाल ने तो बवंडर ही पैदा कर दिया है। पूरा सदन अब राहुल गांधी के बयान को लेकर आक्रामक मुद्रा में है तो दोनों तरफ से आरोप प्रत्यारोपों के वार से अपना पक्ष रखने की कोशिश भी शुरू हो गई है। बयान का असर सदन के बाहर सड़कों पर भी नजर आने लगा है लिहाजा निश्चित है कि आने वाले दिनों में इस बयान को लेकर राजनीति पूरे तूफान पर नजर आएगी। सदन में सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने हिंदुओं पर दिए गए बयान को लेकर राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया है तो उधर पूरा विभाग राहुल गांधी के साथ खड़े होकर अपनी एकजुटता को प्रदर्शित कर रहा है। राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा था कि सत्तारूढ़ दल के नेता हिंदू नहीं हैं क्योंकि वे हिंसा और बंटवारे की राजनीति को बढ़ावा देते हैं। बयान पर बवाल होना निश्चित था और वही सब हुआ भी। सदन में जनहित को लेकर महत्वपूर्ण मुद्दों से किनारा करते हुए पूरा ध्यान अब बयान को लेकर शोरगुल में केंद्रित हो चुका है। वही विपक्षी नेताओं का कहना कि राहुल ने हिंदुओं के बारे में नहीं बल्कि भाजपा नेताओं के बारे में टिप्पणी की थी, लेकिन राजनीति में तिल का ताड़ बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है और यहां भी भारतीय जनता पार्टी को सदन के अंदर ही एक ऐसा मुद्दा मिल गया है जो सीधा हिंदुत्व के इर्द-गिर्द घूमता है। कहीं ना कहीं राहुल गांधी के लिए उनका यह दिया गया बयान आने वाले दिनों के लिए कुछ मुसीबत तो पैदा कर ही सकता है साथ ही चुनावों के दौरान जो एक छवि उन्होंने अपनी बनाई थी उस पर भी सत्ता पक्ष हमला करने से पीछे नहीं हटेगा।
भाजपा ने भले ही इस पूरे मुद्दे को हिंदुओं से जोड़कर पेश किया है लेकिन विपक्ष भी चीख चीख कर यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि सदन में राहुल गांधी ने हिंदुओं के बारे में नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बारे में टिप्पणी की थी। विपक्ष के लिए भी अब इस बयान को लेकर पैदा हुई स्थिति को नियंत्रित करने में कुछ परेशानी तो हो ही रही है तो साथ ही वही अब पूरे सदन की निगाह कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर होगी जहां वह इस बयान पर अपना पक्ष रखेंगे। राहुल गांधी अपने बयान पर कहीं ना कहीं अब घूरते और फंसते हुए नजर आ रहे हैं और यदि वे अब अपना लाख पक्ष भी रखें तो भी वह इस मुसीबत से अब इतनी आसानी से छुटने वाले नहीं है और ना ही भाजपा इतनी आसानी से इस मुद्दे को जाने देगी।

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