जातीय जनगणना पर कांग्रेस का रवैया विचित्र, सोनिया गांधी की टीम में बिहार से एक भी चेहरा नहीं
पटना। जातिगत जनगणना के पक्ष में सबसे ऊंची और दमदार आवाज बिहार से उठाई जा रही है। राजनीति भी यहीं की प्रभावित हो रही है। नफा-नुकसान का मंथन भी सबसे ज्यादा बिहार की जातीय पृष्ठभूमि पर ही किया जा रहा है, लेकिन कांग्रेस का रवैया विचित्र है। उसने जातिगत जनगणना के मसले को समझने के लिए सात सदस्यीय कमेटी बनाई है, जिसमें बिहार का एक भी सदस्य शामिल नहीं है। सबके सब बाहरी हैैं। सवाल है कि इतने अहम मसले को दूसरे प्रदेशों के कांग्रेस नेता कैसे और किस तरह समझेंगे? जातीय जटिलता वाले इस प्रदेश की विभिन्न जातियों को क्या समाधान देंगे? इसका जवाब प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के पास भी नहीं है।
आमतौर पर किसी मसले को समझकर समाधान तलाशने के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई जाती है, किंतु सोनिया गांधी के निर्देश पर वीरप्पा मोइली के नेतृत्व में कांग्रेस की जो राष्ट्रीय टीम बनाई गई है, उसमें सदस्य के रूप में अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद, मोहन प्रकाश, आरपीएन सिंह, पीएल पुनिया एवं कुलदीप बिश्नोई शामिल हैं। इनमें से किसी का नाता बिहार से नहीं है। न तो किसी ने बिहार में कभी काम किया है और न ही जातीय मामलों के विशेषज्ञ ही हैं।
कमेटी में बिहार के किसी नेता को शामिल नहीं करने के सवाल पर प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि आलाकमान को जातिगत जनगणना से मतलब नहीं है। अभी सिर्फ भाजपा का रास्ता रोकने से मतलब है। सबको पता है कि दोनों राष्ट्रीय दलों का वोट बैंक एक तरह का है। जो आज भाजपा के साथ हैं, कल कांग्रेस के साथ थे। भाजपा नेतृत्व अभी महंगाई और तालिबान समेत कई बड़े मुद्दों से घिरा हुआ है। ऐसे में जातिगत जनगणना भी एक हथियार की तरह होगी। टीम के सदस्य आएंगे। चर्चा होगी। मुद्दा उछालकर चले जाएंगे। इससे ज्यादा आलाकमान को और क्या चाहिए।