नई दिल्ली, कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि भारत-चीन संबंधों में हालिया वापसी समझौता देश के लिए गंभीर क्षेत्रीय झटका साबित हुआ है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चीन के सामने सरकार ने रणनीतिक और आर्थिक मोर्चों पर आत्मसमर्पण कर दिया है.
जयराम रमेश ने 15 जून 2020 को गलवान घाटी में शहीद हुए 20 भारतीय सैनिकों को याद करते हुए कहा कि इसके चार दिन बाद ही प्रधानमंत्री मोदी ने बयान दिया था कि न कोई हमारी सीमा में घुसा है, न ही कोई घुसा हुआ है, जो न केवल तथ्यों के विपरीत था, बल्कि चीन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर राहत देने वाला बयान था.
उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर 2024 को हुए समझौते में भारत की सहमति के बिना देपसांग, डेमचोक और चुमार क्षेत्रों में गश्त तक रोक दी गई है. अब भारतीय सेना को इन क्षेत्रों में जाने के लिए चीनी सहमति लेनी पड़ती है, जो रक्षा दृष्टि से गंभीर चिंता का विषय है.
रमेश ने आरोप लगाया कि भारत का चीन पर आयात निर्भरता लगातार बढ़ रही है. इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाइयां, टेलीकॉम और सौर उपकरण जैसे क्षेत्रों में भारत गंभीर रूप से चीन पर निर्भर है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2024–25 में चीन के साथ व्यापार घाटा 99.2 अरब डॉलर तक पहुँच चुका है, जो एक रिकॉर्ड स्तर है, जबकि चीन को भारत का निर्यात 2013-14 की तुलना में भी कम है.
उन्होंने खुलासा किया कि हाल ही में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान के सैन्य अभियानों में तकनीकी समर्थन दिया. सिर्फ हथियार ही नहीं, बल्कि एआई, मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस और स्टील्थ तकनीक में भी सहयोग दिया गया है. पाकिस्तान को भविष्य में चीन से 40 जे-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान मिलने की संभावना है, जिससे भारत को दोतरफा मोर्चे की चुनौती झेलनी पड़ सकती है.
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी पिछले पांच वर्षों से चीन पर विस्तृत संसदीय बहस की माँग कर रही है, लेकिन सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है. उन्होंने कहा, हमें चीन से उत्पन्न हो रही राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों पर एकजुट होकर राष्ट्रीय सहमति बनानी चाहिए.