स्मार्ट मीटरों में आंकड़ों की भूलभुलैया से उपभोक्ता परेशान

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देहरादून(। उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट मीटरों की गिनती तो बढ़ी, पर भरोसे की रोशनी कहीं धुंधली पड़ गई है। देहरादून, हल्द्वानी और नैनीताल जैसे शहरों में बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं ने समान खपत के बावजूद बिजली बिल कई गुना बढ़ने की शिकायत दर्ज कराई है। किसी का बिल दोगुना हुआ, तो किसी को हजारों से लाखों रुपये का बिल थमा दिया गया। देहरादून में तो पार्षदों ने इस मुद्दे पर बिजली दफ्तर का घेराव भी किया। ऊर्जा निगम का कहना है कि पुराने मीटरों की त्रुटियों और लंबित बकाया का डेटा नए सिस्टम में जुड़ने से यह भ्रम पैदा हुआ है। निगम का दावा है कि स्मार्ट मीटर दीर्घकाल में बिलिंग में लाभ देंगे।
स्मार्ट मीटर का विरोध कर रहे उपभोक्ताओं का आरोप है कि बिना पूर्व सूचना या सहमति के मीटर बदले जा रहे हैं। पहले जहां दो महीने का बिल करीब एक हजार रुपये आता था, वहीं अब एक महीने में ही दो हजार से अधिक बिल आ रहा है। कई उपभोक्ताओं ने कहा कि पुराने बिल की राशि नए मीटर में जोड़कर एकमुश्त वसूली की जा रही है। उनकी मांग है कि हर घर में चेक मीटर लगाकर खपत की जांच की जाए और रिपोर्ट आने तक नए बिलों की वसूली रोकी जाए।
ऊर्जा निगम के अनुसार कई पुराने मीटरों में तकनीकी खराबियां थीं। नए मीटर लगाने पर वास्तविक खपत सामने आई है। निगम का कहना है कि शिकायतों की जांच कर दोषपूर्ण मीटर बदले या बिल संशोधित किए जा रहे हैं। उपभोक्ताओं के लिए टोल-फ्री नंबर 1912 जारी किया गया है। निगम के अनुसार जैसे-जैसे सिस्टम काम करेगा, मीटरिंग और बिलिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि मीटर इंस्टाल करने से पहले थर्ड-पार्टी टेस्टिंग अनिवार्य की जाए और उपभोक्ता को रीडिंग, सीरियल नंबर व प्रमाणपत्र की जानकारी दी जाए। साथ ही उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर की कार्यप्रणाली समझाने के लिए प्रशिक्षण या वर्कशाप आयोजित की जाए।

स्मार्ट मीटर की प्रणाली में किसी प्रकार का कोई दोष नहीं है, पुराने मीटर की खामियों के कारण कई उपभोक्ताओं को पुराने बिल जोड़कर दिए गए हैं, इससे बिल बढ़कर आ रहा है। – अनिल यादव, एमडी, यूपीसीएल

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