राजकीय कर्मचारी घोषित करने और मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर आशाओं का प्रदर्शन जारी

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। आशा कार्यकत्रियों ने सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने सहित अन्य मांगों को लेकर 42वें दिन रविवार को तहसील परिसर में धरना प्रदर्शन जारी रखा। इस दौरान आशाओं ने सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी भी की। आशाओं का कहना है कि वे लंबे समय से सरकार की सभी योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम कर रही है इसके बावजूद भी सरकार के द्वारा उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने उन्हें अब तक कोविड ड्यूटी का 10,000 रूपये बकाया भी नहीं दे पाई है और ना ही नियुक्ति से अब तक उनका मानदेय बढ़ाया है।
आशा कार्यकत्रियों ने सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने, जब तक मानदेय और कर्मचारियों का दर्जा मिलने तक अन्य विभागों से योजनाओं में लगे कार्मिकों की तरह मानदेय देने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की सुविधा देने, कोविड कार्यों में लगी आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता, 50 लाख रुपये का बीमा और दस लाख का स्वास्थ्य बीमा देने, कोविड ड्यूटी के दौरान मृत आशा कर्मियों के आश्रितों को 50 लाख का बीमा और चार लाख का अनुग्रह राशि देने सहित 12 सूत्रीय मांगों को पूरा करने की मांग की है। इस अवसर पर अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी, सचिव रंजना कोटनाला, ऊषा चौहान, कल्पना काला, नीलम कुकरेती, कल्पना बिष्ट, रीता देवी, सीमा शाही, सुनीता रावत, मेघा असवाल, प्रमिला गुसांइ, प्रीति, कांति, सम्पत्ति, विमला जोशी, रोशनी जदली, बसंती रावत, शोभा, ज्योति रावत, आशा, रेनू आदि शामिल थे।

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