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कोरोना के चलते धौलछीना बाजार में नहीं पहुंचा पाया काफल

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अल्मोड़ा। कोरोना महामारी के कारण इस बार पहाड़ी फल काफल धौलछीना बाजार तक नहीं पहुंच सका है। पिछले वर्षो तक मई तथा जून के महीने में धौलछीना बाजार में बड़ी मात्रा में काफल की बिक्री होती थी। लेकिन इस बार कोरोना के चलते धौलछीना के रसीले काफलों का स्वाद तराई से आने जोन वाले यात्री नहीं उठा सके। काफल बेचने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी इसका असर पड़ रहा है। धौलछीना के आसपास के जंगलों में काफल की अत्यधिक मात्रा में होते है। जिसे तोड़ कर ग्रामीण धौलछीना बाजार में बेचते थे। आने जाने वाले यात्री तथा पर्यटक बडी मात्रा में काफल खरीदते थे। विकासखंड के दियारी, कांचुला, कलौन, धौनी, कालाकोटली, नायल आदि गांवों के ग्रामीण धौलछीना बाजार में काफल बेचा करते थे। काफल विक्रेता लछम सिंह, जीवन सिंह ने बताया कि पिछले वर्षो तक काफल 200 से 250 रूपया प्रति किलों काफल बेचते थे जिससे दिन भर में लगभग 1200 से 1500 तक कमा लेते थे। लेकिन इस बार बाजार बंद होने को कारण काफल बेचने नहीं आ सके हैं। हालाकि बाजार खुले हैं लेकिन पर्यटकों के नहीं होने से काफल खरीदार नहीं मिल रहे हैं। कई परिवारों के लिए वर्षो से यह फल आजीविका का साधन भी है। फिलहाल लाकडाउन के चलते काफल पर भी कोरोना का साया पडा हुआ है। स्थानीय लोग इन दिनों काफल खाने के लिए जंगलों का रूख कर रहे हैं। लेकिन पिछले वर्षो की तरह इस बार बाहर रह रहे अपने रिस्तेदारों के लिए काफल नहीं भेज पा रहे हैं।

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