सावधान! अतिक्रमण के खिलाफ 23 से गरजेगी निगम की जेसीबी
-जिलाधिकारी कर चुके हैं दो टीमों का गठन, कोटद्वार व लैंसडौन के एसडीएम करेंगे नेतृत्व
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : नगर निगम प्रशासन की ओर से चिह्नित अतिक्रमण पर 23 जून से जेसीबी गरजेगी। जिलाधिकारी ने कोटद्वार के चिह्नित अतिक्रमण को हटाने के लिए दो टीमों का गठन किया है। जिनका नेतृत्व कोटद्वार के प्रभारी उपजिलाधिकारी व लैंसडौन के उपजिलाधिकारी करेंगे। निगम प्रशासन का कहना है कि अतिक्रमण हटाओ अभियान को लेकर वह पूरी तरह से तैयार हैं।
बता दें कि 18 नवंबर 2020 को उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ ही नगर निगम की नजूल भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किए थे। न्यायालय के आदेश के बाद नगर निगम प्रशासन ने लालबत्ती चौक से मालवीय उद्यान तक 137 अतिक्रमण चिह्नित कर दिए थे। इसके बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की तो इसके विरोध में कुछ भवन स्वामी उच्चतम न्यायालय पहुंच गए। व्यापारियों का कहना था कि उच्च न्यायालय ने भवन स्वामियों का पक्ष सुने बिना निर्णय दे दिया। उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय को दूसरा पक्ष सुनने के निर्देश दिए। जिसके बाद उच्च न्यायालय ने नगर निगम को भवन स्वामियों का पक्ष सुनने को कहा। न्यायालय के निर्देश पर नगर निगम प्रशासन ने भवन स्वामियों को सुना और फिर अतिक्रमण हटाने को लेकर 43 भवन स्वामियों को नोटिस जारी कर दिए। इस नोटिस के खिलाफ भी कुछ व्यापारी फिर से कोर्ट की शरण में चले गए। हालांकि, कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। जिसके बाद जिलाधिकारी ने मजिस्टे्रटी टीम का गठन कर कोटद्वार के प्रभारी उपजिलाधिकारी व लैंसडौन के उपजिलाधिकारी को कमान सौंपी। अब पूर्व से तय कार्यक्रम के तहत 23 जून से अतिक्रमण हटाने की तैयारी है। देखना होगा कि नगर निगम और प्रशासन किस हद तक इस अभियान में सफल होता है।
नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत किए गए अतिक्रमण के खिलाफ 23 जून (कल) से अभियान चलाया जाएगा। जिसे लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है।
प्रमोद कुमार, प्रभारी उपजिलाधिकारी, कोटद्वार
23 जून सुबह छह से सात बजे के बीच नगर में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया जाएगा। इस दौरान पुलिस फोर्स भी तैनात रहेगा। तैयारियां पूरी हैं और अतिक्रमणकारियों को भी इस संबंध में बता दिया गया है।
शकिन सिंह नेगी, नगर आयुक्त, नगर निगम कोटद्वार
कुछ खुद ही तोड़ रहे अतिक्रमण तो कुछ को अभी भी उम्मीद
न्यायालय के फैसले और नगर निगम प्रशासन के नोटिस के बाद कुछ लोगों ने खुद से चिह्नित अतिक्रमण को हटाना शुरू कर दिया है, लेकिन कुछ अभी भी उम्मीद में हैं कि शायद यह अतिक्रमण हटाओ अभियान रुक जाए। हालांकि, कुछ का तर्क है कि उनके द्वारा किए गए निर्माण नियमों के अनुसार हैं और अगर वह अतिक्रमण कर रहे थे तो उन्हें पहले क्यों नहीं रोका गया।