संपादकीय

भ्रष्ट अधिकारियों पर नकेल

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पिछले कुछ दिनों में उत्तराखंड के सतर्कता विभाग में कुछ ऐसे बड़े मामले उजागर किए हैं जो यह सोचने के लिए विवश कर देते हैं की पब्लिक डीलिंग से जुड़े हुए विभाग क्या वाकई पारदर्शिता से अपना कार्य कर रहे हैं? भ्रष्टाचार उन्मूलन को लेकर धामी सरकार पहले ही दिशा निर्देश जारी कर चुकी है और स्वयं मुख्यमंत्री पुरस्कार सिंह धामी ने विभागों में भ्रष्टाचार को लेकर अपने कार्य करने के तरीके उजागर किए हुए हैं। किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार की शिकायत के लिए न केवल सरकारी पोर्टल बल्कि दूसरे प्लेटफार्म पर भी शिकायत करने की व्यवस्था की गई है। पुलिस को भी भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्ती से कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं लेकिन बावजूद इसके पिछले कुछ दिनों में जिस प्रकार के बड़े मामले सामने आए हैं एवं उनमें बड़े अफसरों की संलिप्तता पाई गई है वह प्रशासनिक व्यवस्था की भी पोल खोलती है। सरकार के राजस्व का एक बड़ा साधन जीएसटी व्यवस्था है जिसमें भी भ्रष्टाचार के रास्ते अधिकारियों ने खोज लिए हैं। अधिकारियों की मिलीभगत ने जीएसटी को “एडजस्ट” करने के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए डकारने की भी राह तलाश ली है, और इसी कड़ी में हाल ही में आल्हा दर्जे के एक जीएसटी अधिकारी को रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया गया। अभी यह मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब सरकारी राजस्व अर्जित करने का एक बड़ा विभाग आबकारी महकमे में भी रिश्वतखोर अधिकारी को बेनकाब किया गया है। इस बार जिला आबकारी अधिकारी सतर्कता टीम के हाथ लगा है जो एक ठेकेदार से बकाया अधिभार राशि के नाम पर रिश्वत लेता हुआ पकड़ा गया। स्पष्ट है कि सरकार की लाख कोशिशें के बावजूद सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की तूती बोल रही है ऐसे कुछ मामले तभी सामने आते हैं जब कुछ साहसी लोग आगे आकर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की शिकायत करते हैं। अन्यथा यह खेल तो न जाने कितने लंबे समय से चलता आया है और आगे भी चलता रहेगा। बिना जन सहयोग एवं शिकायतकर्ता के भ्रष्टाचार पर लगाम कसना असंभव कार्य है लेकिन यहां सरकार को भी विभागीय स्तर पर ऐसी खुफिया टीम में तैयार करनी चाहिए जो विभागों में चल रहे भ्रष्टाचार की जानकारियां मुख्यमंत्री तक पहुंचा सके। आज भी जनता से जुड़े विभागों में बिना लेनदेन के कार्य कराना आसान नहीं है, जितना बड़ा काम उतनी बड़ी डीलिंग। अधिकांश मामलों में देने वाला भी खुश और लेने वाले तो मानो हाथ फैलाए बैठा है। सरकार भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने को स्वीकृत संकल्प बैठी है लेकिन जब तक खुद शिकार करता सामने नहीं आएंगे तब तक यह काला खेल रुकने वाला नहीं है लेकिन इतना स्पष्ट है कि विभागों में भ्रष्टाचार की गाड़ी काफी तेजी से दौड़ रही है और इस पर ब्रेक लगाना दूर की कौड़ी ही साबित हो रही है।

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