हल्द्वानी के जन अषौधि केन्द्रों में जीवन रक्षक दवाओं का संकट
हल्द्वानी। शहर में लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए खोले गए जन औषधि केन्द्रों में जीवन रक्षक दवाओं की कमी हो गई है। मरीज सस्ती दवाएं लेने के लिए केन्द्र दर केन्द्र भटक रहे हैं। केंद्रों में बीपी, शुगर व कई महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक्स की दवाओं का संकट बना हुआ है। केन्द्र संचालकों के लगातार मांग के बावजूद जीवन रक्षक दवाओं की आपूर्ति सुचारू नहीं हो पार रही है। हल्द्वानी के अस्पतालों में मरीजों को नहीं मिल पाने वाली सस्ती दवा उपलब्ध कराने को 14 जन औषधि केन्द्र खोले गए हैं। इनके अलावा बेस अस्पताल, महिला अस्पताल व एसटीएच में भी औषधि केन्द्र खोले गए है। निजी केंद्रों के संचालकों ने बताया कि करीब तीन माह से इन केन्द्रों पर दवाएं लेने के लिए आने वाले ज्यादातर मरीज बैरंग लौटने को मजबूर हैं। इसकी वजह यह है कि केंद्रों पर ब्लड प्रेशर, शुगर, एंटी एलर्जी व कई एंटीबायोटिक्स की दवाएं खत्म हो चुकी हैं। केन्द्र संचालकों ने बताया कि कई बार डिमांड के बावजूद उन्हें दवा नहीं मिल रही है। जिससे जन औषधि केंद्रों की ब्रिकी भी गिर गई है। दवाएं कब उपलब्ध होंगी यह सप्लायरों तक को मालूम नहीं है। बताते चलें कि जन औषधि केन्द्रों और बाजार में मेडिकल स्टोर से मिलने वाली दवाओं के दाम में भारी अंतर होता है। एक मरीज की एक माह की दवा खरीदने पर तीन से पांच हजार रुपये तक का अंतर आ जाता है। जिसके चलते मरीज जन औषधि केन्द्रों से दवा खरीदते हैं।
सरकारी जन औषधि केन्द्रों में नहीं मिल रही यह दवा
जन औषधि केन्द्रों के संचालकों ने बताया कि केंद्रों में बीपी, शुगर, पोस्ट्रेट, कोलेस्घ्ट्रल, एंटीबायोटिकस नहीं मिल रही है। जो दवा निजी केंद्र में मिलती है वह सरकारी अस्पताल में उपल्बध नहीं होती है। ऐसे में मरीजों को काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है।
बोले,केन्द्र संचालकरू
पिछले तीन माह से केंद्रों में शुगर व बीपी की कई दवाएं नहीं है। कई बार आर्डर कर चुके है। लेकिन अभी तक दवाएं नहीं मिल पाई है। मरीजों को केन्द्रों से लगातार निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है। – रजत गोयल, केंद्र संचालक।
पिछले चार माह से मेरे केंद्र में बीपी, शुगर व कई एंटीबायोटिक्स की दवाओं का टोटा चल रहा है। कई बाद आर्डर लगा दिया है, लेकिन अभी तक दवाएं नहीं मिल पाई है। ऐसे में मरीजों व केन्द्र संचालकों को काफी दिक्कतें हो रही हैं। – नरेंद्र पवार, केंद्र संचालक।
मेरे केंद्र में पिछले तीन माह से बीपी, शुगर, पोस्ट्रेट, कोलेस्घ्ट्रल की दवाओं का संकट चल रहा है। आर्डर लगाने पर भी दवाएं नहीं मिल रही है। मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है। जिसके चलते मरीज महंगी दवा खरीदने को मजबूर हैं। – सचिन कुमार, केंद्र संचालक।
कोटरू
जन औषधि केन्द्रों में कुछ दवाओं की शर्टज चल रही थी। लेकिन अब हमारे सेंट्रल वेयरहाउस में दवाएं आ चुकी है। जैसे ही संचालक आर्डर लगाएंगे उन्हें दवाएं मिल जाएंगी। – तपन शर्मा, नोडल अधिकारी पीएमबीआई।