श्रीनगर गढ़वाल : गढ़वाल विवि के उद्यानिकी विभाग, धाद संस्था दून एवं उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को शीतोष्ण गुठलीदार फलों का व्यावसायिक उत्पादन चुनौतियों एवं अवसर विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई।
बतौर मुख्य अतिथि गढ़वाल विवि के कुलपति प्रो. एमएमएस रौथाण और जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के पूर्व अधिष्ठाता डा. एमसी नौटियाल ने सुंयक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि गढ़वाल विवि के कुलपति प्रो. एमएमएस रौथाण ने कहा कि शीतोष्ण फलों की खेती उत्तराखंड की आर्थिकी का एक सशक्त माध्यम है। कहा कि किसान शीतोष्ण फलों की खेती कर अपना रोजगार सृजन कर अच्छी आय कमा सकते हैं। प्रो. रौथाण ने कहा कि वर्तमान समय में हमारे लिए जलवायु परिवर्तन एक बहुत बड़ी चुनौती है। वर्तमान समय में बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा और चरम मौसम की घटनाओं के कारण उत्तराखंड में पारम्परिक सेब, आड़ू जैसे शीतोष्ण फलों की किस्मों की पैदावार कम हो रही है। कहा कि यदि शीतोष्ण फलों की खेती, सही तकनीकों और वैज्ञानिक मार्गदर्शन से की जाए तो यह किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। कार्यशाला में अति विशिष्ट अतिथि डॉ. एमसी नौटियाल ने बदलते जलवायु परिदृश्य में शीतोष्ण फल उत्पादन की चुनौतियों और उनसे निपटने की रणनीतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने किसानों को जलवायु अनुकूल किस्मों के चयन, उच्च घनत्व रोपण और उन्नत बागवानी तकनीकों को अपनाने की सलाह दी। कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि धाद संस्था के अध्यक्ष लोकेश नवानी ने संस्था की ओर से किए जा रहे कार्यों को किसानों के सम्मुख रखा। प्रगतिशील कृषक कुंदन सिंह पंवार ने कहा कि सरकार द्वारा केवल सेब की पैकेजिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जबकि उत्तराखंड के अन्य पारम्परिक फलों की पैकेजिंग और बाजारीकरण पर किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने सरकार से उत्तराखंड के पारम्परिक फलों के पैकेजिंग और बाजारीकरण पर भी विशेष ध्यान देने की बात कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कृषि संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. अजीत सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड में किसान पारम्परिक फलों की खेत कर अच्छी आय सृजित कर सकते हैं, लेकिन किसानों को वैज्ञानिक तरीके से इसकी पारम्परिक खेती करने की आवश्यकता है। उन्होंने गढवाल विवि के वैज्ञानिकों और संस्थाओें को उत्तराखंड में उगने वाले पारम्परिक फलों पर भी विशेष ध्यान देकर किसानों को कृषिकरण पर जोर देने को कहा। कार्यक्रम का संचालन उद्योनिकी विभाग के डा. तेजपाल सिंह बिष्ट ने किया। इस मौके पर गढ़वाल विवि के डीएसडब्ल्यू प्रो. ओपीएस गुसांई, हैप्रेक संस्थान के निदेशक डा. विजयकांत पुरोहित, डा. बबिता पाटनी, डा. विजयलक्ष्मी रतूड़ी, डा. सुदीप सेमवाल, डा. प्रदीप डोभाल, डा. जयदेव चौहान, तन्यम मंमगाई, हरीश डोबरियाल, देवेंद्र सिंह, पवन, सुरेंद्र सहित आदि मौजूद थे। (एजेंसी)