हल्द्वानी(। ऑनलाइन साइबर अपराध की घटनाओं को अंजाम देने वाले कई संदिग्ध हल्द्वानी में ही छिपे पड़े हैं। ये पढ़े-लिखे डिग्री और डिप्लोमा धारक युवा तकनीकी मशीनरी का गलत फायदा उठाकर लोगों को चूना लगाने का काम कर रहे हैं। पिछले एक साल में हुई तीन साइबर अपराध से जुड़ी घटनाओं ने इस बात की पुष्टि की है। गिरफ्तार किए गए कुछ आरोपी हल्द्वानी और कुछ यूपी व दिल्ली के थे। ये हल्द्वानी में बैठकर कई राज्यों में साइबर ठगी का रैकेट चला रहे थे। दिल्ली पुलिस की टीम ने दबिश देकर हल्द्वानी के वनभूलपुरा थाना क्षेत्र से तीन आरोपियों मोहम्मद शादाब अंसारी, अनस अंसारी और मोहम्मद दानिश को गिरफ्तार किया। दिल्ली में हुए एक ठगी के मामले में इन तीनों को दबोचा। तीनों के खातों से लाखों रुपयों का ट्रांजेक्शन होने का मामला सामने आया। बैंक डिटेल और अन्य विवरण खंगालने के बाद इनके साइबर ठगी के पैसे खपाने के तथ्य सामने आए। इससे पहले भी हल्द्वानी में साइबर अपराध से जुड़े गिरोह को एसटीएफ ने दबोचा है।
इसी साल काठगोदाम थाना क्षेत्र के अमृतपुर में एक निर्माणाधीन होमस्टे में साइबर ठगी का भंडाफोड़ हुआ था। छह आरोपियों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। आरोपियों के कब्जे से छह महंगे लैपटॉप, 23 मोबाइल, 17 सिम कार्ड, नौ बैक खातों का विवरण, बार कोड स्कैनर, वाईफाई डिवाइस, एटीएम कार्ड और चेकबुक बरामद किए थे। ये युवक अलग-अलग स्थानों से साइबर ठगी के शिकार हुए लोगों का धन मंगवाकर उसे फर्जी खाते खुलवाकर खपाते थे। चार आरोपी नैनीताल जिले और दो यूपी के थे।
इसके अलावा बेकरी में काम करने वाले वनभूलपुरा के एक कर्मचारी का चालू खाता खुलवाकर साइबर ठगी का मामला सामने आया था। जिसमें मास्टरमाइंड एमबीपीजी कॉलेज का छात्रसंघ का एक पूर्व नेता था। उसने दुबई में बैठे अपने भाई के साथ मिलकर यह क्रिप्टो करेंसी का खेल रचा। इसके साथ हल्द्वानी के 11 और युवा थे जो ठगी के गिरोह का हिस्सा थे। 1.20 करोड़ का इनके खातों से लेनदेन हुआ था।
बाहरी राज्यों में बैठे ठगों से संपर्क: हल्द्वानी से साइबर अपराध में शामिल जो भी आरोपी पुलिस ने पकड़े उनका कनेक्शन दिल्ली, यूपी या दुबई से रहा। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि बाहरी राज्यों या विदेश में बैठे सरगना ठगी की घटनाओं को अंजाम देते हैं। जिसके बाद काले धन को सफेद करने के लिए स्थानीय युवकों से संपर्क कर कमीशन देकर करेंसी खपाते हैं।