धान की खेती के लिए वरदान साबित हो सकता है चक्रवात, कई राज्यों में पूरे महीने भारी बारिश का अनुमान
नई दिल्ली, एजेंसी। अरब सागर के चक्रवात से गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में क्षति अवश्य हुई है, लेकिन दूसरा पहलू है कि धान की खेती के लिए यह वरदान साबित होने वाला है। चक्रवात के चलते उत्तर-मध्य भारत में निम्न दाब का क्षेत्र विकसित होने लगा है।
इससे बंगाल की खाड़ी में अटके मानसून को गति मिलेगी, जो धान उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं हरियाणा समेत देश के लगभग आधे हिस्से में अगले एक महीने तक अच्छी वर्षा के अनुकूल माहौल तैयार करेगा। इन राज्यों में वर्षा बहुत कम हुई है।
जून में अभी तक यूपी में 93 प्रतिशत, बिहार में 83 और मध्य प्रदेश में 81 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। हालांकि, यहां प्री-मानसून वर्षा की भी स्थितियां अब बन रही हैं। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि चक्रवात के चलते मानसून के आने में विलंब होने से धान की फसल लगाने में थोड़ी देर जरूर हुई है, किंतु अब रोपाई का काम तेजी से बढ़ सकता है।
गर्मी से झुलस रहे बिहार एवं पूर्वी यूपी की फसलों को 20 जून से राहत मिलने की उम्मीद है। भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) ने पहले ही इस खरीफ वर्ष में सामान्य वर्षा का अनुमान जारी कर रखा है। बीच में चक्रवात के चलते बिहार पहुंचने से पहले ही मानसून के अटके रहने की संभावना जारी की गई थी, किंतु अब आइएमडी के साथ निजी एजेंसी स्काइमेट ने भी ऐसी आशंका को खारिज किया है।
आइएमडी का कहना है कि चक्रवात के बाद वायुमंडलीय परिस्थितियां मानसून के लिए बहुत ज्यादा अनुकूल हो गई हैं। 20-21 जून के आसपास यूपी में निम्न दाब का क्षेत्र बनेगा। इससे बंगाल की खाड़ी में रुकी हुई हवा पूर्व की ओर बढ़ेगी। 20 जून तक बिहार-झारखंड में बारिश होने लगेगी। 23 जून तक पूर्वी यूपी में भी मानसून पहुंच सकता है।
स्काइमेट प्रवक्ता महेश पलावत का आकलन है कि चक्रवाती हवाओं के दिल्ली से पश्चिमी यूपी एवं उत्तराखंड की तरफ बढ़ते ही बंगाल की खाड़ी का मानसून तेजी से आगे बढ़ेगा और बिहार के बाद पूर्वी यूपी में 22 से 23 जून तक सक्रिय हो जाएगा।
इस बीच दिल्ली एवं आसपास के क्षेत्रों में मानसून से पहले भी चक्रवात के चलते अच्छी वर्षा होगी। राजस्थान में 20 से 21 जून तक चक्रवात का असर खत्म हो जाएगा। दिल्ली में रविवार से ही चक्रवातीय हवा चलने लगेगी, जो तीन से चार दिनों तक रह सकती है। इस दौरान सामान्य वर्षा होगी। पंजाब एवं हरियाणा के उत्तरी हिस्से में वर्षा न के बराबर होगी। अधिकतम तापमान में भी वृद्धि हो सकती है।
वहीं, मध्य प्रदेश के ग्वालियर, गुना, साजापुर, दमोह, टिकमगढ़, उमरिया, इंदौर एवं उज्जैन के इलाके में मुसलाधार बारिश होगी। यह सिलसिला 26 जून तक चलता रहेगा। उसके बाद मानसूनी हवाओं के सहारे वर्षा के अनुकूल स्थितियां यूपी की तरफ खिसक जाएंगी और पूरे महीने जमकर वर्षा होगी।
चक्रवात के गुजर जाने के कुछ दिन बाद लगभग एक हफ्ते तक गुजरात और पश्चिम राजस्थान में सूखे की स्थिति बन सकती है। मध्य प्रदेश का सीमावर्ती क्षेत्र भी इसके प्रभाव में आ सकता है, मगर मौसम विज्ञानियों का मानना है कि ऐसी स्थिति ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगी। इसके पहले ही इतना अधिक वर्षा हो जाएगी कि हफ्ते भर अगर वर्षा नहीं भी होगी तो भी सूखे की स्थिति से निपटा जा सकता है।