उत्तरकाशी। यमुनाघाटी में देवराणा मेले की तैयारियां शुरू हो गई हैं। 65 गांव के आराध्य देव रुद्रेश्वर महादेव का पौराणिक मेला देवदार के पेड़ों से घिरे देवराणा में 11 जुलाई को आयोजित होगा। हाल ही में रूद्रेश्वर महादेव डांडा देवराणा मेले को उत्तराखंड सरकार ने राजकीय मेला भी घोषित किया। रुद्रेश्वर महादेव देवलसारी थान में विराजमान हैं और रवांई घाटी के 65 गांव के आराध्य देव हैं। देवलसारी थान में विराजमान रुद्रेश्वर महादेव अपने गृभगृह से 10 जुलाई को बाहर आएंगे और अपने भक्तों को दर्शन देंगे। उसके बाद रुद्रेश्वर महादेव 11 जुलाई को देवराणा मेले में पहुंचेंगे। डांडा देवराणा मेला अपनी पौराणिक संस्कृति और मान्यताओं को संजोए हुए है। जिसमें रंवाई की पौराणिक संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। इस मेले में पौराणिक संस्कृति के अनुसार कार्यक्रम आयोजित होते है, जहां 65 गांव के लोग गाजे बाजों के साथ झुमैलो लगाकर मंदिर परिसर में सामूहिक नृत्य करते हैं। मान्यता के अनुसार, जब सभी गांव के लोग देवराणा पहुंच जाते हैं तो रूद्रेश्वर महादेव का पाश्वा मंदिर के उपर बने शेर पर बैठकर सभी भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। डांडा देवराणा मेला यमुना घाटी क्षेत्र का सबसे बड़ा आस्था का केंद्र है जिसकी पौराणिक मान्यता अभी भी यथावत है। डांडा देवराणा मेले को लेकर घाटी में उत्साह का माहौल रहता है और लोग अपने आराध्य देव केके आशीर्वाद को दूर दराज से पहुंचते हैं। मालूम हो कि रूद्रेश्वर महादेव के चार थान हैं जिसमें बजलाडी़, तियां, देवलसारी, कंडाऊ शामिल हैं, जहां वह बारी बारी से थान में रहते हैं।