उत्तराखंड: कर्णप्रयाग में भी खतरा़, घरों में पड़ीं दरारें, दहशत में 50 से ज्यादा परिवार
कर्णप्रयाग। जोशीमठ में भू-धंसाव की घटना के बाद कर्णप्रयाग में बहुगुणानगर, सीएमपी बैंड और सब्जी मंडी के ऊपरी भाग में रहने वाले 50 से अधिक परिवार भी दहशत में हैं। यहां मकानों की दीवारों व चौक के आंगन में दरारें और लटकी मकानों की छत आपदा का दर्द बयां कर रहे हैं। इस भाग में बरसात के दौरान तेजी से भू-धंसाव हुआ था लेकिन अभी तक ट्रीटमेंट न होने से लोग खतरे के साये में रात बिता रहे हैं।
यहां बदरीनाथ हाईवे के किनारे बसे इस भू-भाग पर करीब 25 मकानों में दो फीट तक दरारें पड़ी हैं जिस कारण कई लोग अपने मकान छोड़ चुके हैं। जबकि अधिकांश परिवार खौफ के साये में टूटे मकानों में ही रहने के लिए मजबूर हैं। हालत यह है कि भू-धंसाव के आठ माह बाद भी प्रशासन व आपदा प्रबंधन की ओर से सुरक्षा के कोई उपाय नहीं किए गए।
कर्णप्रयाग में 12 साल पहले सब्जी मंडी बनने के बाद भू-धंसाव होने के बाद दरारें आईं शुरू हुईं। इसी दौरान कर्णप्रयाग-नैनीसैंण मोटर मार्ग के स्कपर भी बंद हो गए लेकिन लोनिवि ने उनको खोलने की जहमत नहीं उठाई। नतीजा यह हुआ कि सड़क का पानी तीनों क्षेत्रों के मकानों में पड़ी दरारों में जाने लगा।
इस दौरान वहां अनियोजित कटिंग ने भी हालात और ज्यादा बिगाड़ दिए। धीरे-धीरे सड़क का पानी अन्य लोगों के घरों की दरारों में जाने लगा। पिछले साल जुलाई और अगस्त में वहां भू-धंसाव में तेजी आई जो अभी भी जारी है। वहीं, पिछले साल बरसात के दौरान एनएचआईडीसीएल ने बदरीनाथ हाईवे पर रोड की कटिंग की।
लिहाजा बारिश में वहां जमीन धंसने लगी और सड़क के ऊपर बने पंकज डिमरी, उमेश रतूड़ी, बीपी सती, राकेश खंडूड़ी, हरेंद्र बिष्ट, रविदत्त सती, दरवान सिंह, द्गिंबर सिंह, गबर सिंह सहित 25 मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गईं। वर्तमान में हालत यह है कि लोगों के मकानों और आंगन में दो से तीन फीट चौड़ी दरारें पड़ी हैं। अभी तक इनका ट्रीटमेंट नहीं हो सका है।
इस भू-धंसाव वाले क्षेत्र का दो बार प्रशासन के अलावा रुड़की आईआईटी के वैज्ञानिक भी निरीक्षण कर चुके हैं। कर्णप्रयाग में बहुगुणानगर, सब्जी मंडी के ऊपरी भाग और सीएमपी बैंड के आसपास के ट्रीटमेंट का प्रस्ताव तैयार कर दिया गया है। इस प्रस्ताव पर भूगर्भीय सर्वे कराया जा चुका है। पैसा स्वीत होते ही जल्द ट्रीटमेंट कार्य शुरू करवा दिया जाएगा। – एमएस बुटोला, सहायक अभियंता सिंचाई विभाग।
प्रशासन व भूगर्भीय वैज्ञानिकों ने प्रभावित क्षेत्र का सर्वेक्षण किया है। जल्द भूस्खलन रोकने के उपाय किए जाएंगे।
– सुरेंद्र सिंह देव, तहसीलदार कर्णप्रयाग।
पीएमओ कर रहा जोशीमठ भू-धंसाव मामले की निगरानी, कुछ ही देर में पहुंचेगी सर्वे के लिए टीम
जोशीमठ। जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। भू-धंसाव ने अब सभी वार्डों को चपेट में ले लिया है। अब जोशीमठ भू-धंसाव मामले की निगरानी पीएमओ से की जा रही है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट दीपक सैनी ने बताया कि पीएमओ की ओर से लगातार मामले में अपडेट लिया जा रहा है। लोगों को यहां किसी तरह की परेशानी न हो इसका भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
बुधवार को जोशीमठ से 66 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया। अब तक 77 परिवारों को शिफ्ट किया जा चुका है। राज्य सरकार पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर बृहस्पतिवार को विशेषज्ञों का एक दल जोशीमठ रवाना होगा।
एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड में आने वाली प्रमुख प्रातिक आपदाओं और दुर्घटनाओं पर अपनी तीसरी रिपोर्ट जारी की है। उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) की रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ में 500 घर रहने के लायक नहीं हैं। रिपोर्ट में जोशीमठ में लगातार हो रहे भूधंसाव को लेकर चिंता जताई गई है। इसके साथ ही सड़क दुर्घटना में क्रिकेटराषभ पंत के घायल होने की घटना को भी एक चेतावनी के रूप में देखा गया है।
रिपोर्ट का प्रमुख हिस्सा इस बार जोशीमठ के भूधंसाव को लेकर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर के 500 से ज्यादा घर रहने लायक नहीं हैं। लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने स्थिति से निपटने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है, जिसके कारण उन्हें 24 दिसंबर को सड़कों पर उतरना पड़ा। इस दिन शहर की करीब आठ सौ दुकानें विरोध स्वरूप बंद रहीं। जोशीमठ धंसाव के कारणों का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है। इसके अलावा राज्य में दिसंबर 2022 में कोई बड़ी आपदा या दुर्घटना नहीं हुई है।
सोशल डेवलपमेंट फर कम्युनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार ‘उदास’ मंथली रिपोर्ट राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं, अधिकारियों, शोधार्थियों, शैक्षिक संस्थाओं, सिविल सोसायटी आर्गेनाइजेशन और मीडिया के लोगों के लिए सहायक होगी। इसके साथ ही दुर्घटना और आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। उत्तराखंड आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। अपने अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिक यहां भूस्खलन, भूकंप आने की आशंका लगातार जताते रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में विशेष तौर पर आपदा तंत्र को मजबूत करने की सख्त जरूरत है।
सेना और आईटीबीपी की बढ़ी चिंता, मुख्यालय की ओर बढ़ रहा भू-धंसाव
देहरादून । जोशीमठ धार्मिक पौराणिक एवं ऐतिहासिक शहर ही नहीं बल्कि ये सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। यहां से भारत तिब्बत सीमा महज 100 किलोमीटर की दूरी पर है। यह संसाधनों से भरपूर अंतिम सरहदी शहर है। भू-धंसाव का आकार प्रतिदिन सुरसा राक्षसी की मुंह के सामन बढ़ता ही जा रहा है।
अब भू-धंसाव का क्षेत्र सेना और आईटीबीपी के मुख्यालय की ओर बढ़ना शुरू हो गया है। सेना मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़क भी धंसने शुरू हो गई है। जल्द इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो देश की सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है।
जोशीमठ में भारतीय सेना का बिग्रेड मुख्यालय और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की एक बटालियन तैनात है। जोशीमठ भारत तिब्बत सीमा (चीन के अधिकार क्षेत्र) का अंतिम शहर है। यहां से नीति और माणा घाटियां भारत तिब्बत सीमा से जुड़ती हैं।
हाल के दिनों में जिस तरह से इस सीमांत शहर में बडेघ् पैमाने पर भू-धंसाव की घटना सामने आई है। भू-धंसाव का क्षेत्र अब सेना और आईटीबीपी के मुख्यालय की ओर भी बढ़ना शुरू हो गया है। भू-धंसाव वाले क्षेत्र में जवानों को रहना भी मुश्किल हो जाएगा।
जिस तरह से यहां बड़ी तेजी से भू-धंसाव हो रहा है उससे स्थानीय लोगों के साथ सेना की चिंता भी बढ़ गई है। खासतौर से तब जब चीन से भारत के संबंधों में तल्खी बनी हुई है। भारतीय सुरक्षा बलों के बाद इस सीमांत इलाके के नागरिक दूसरी रक्षा पंक्ति में आते हैं। भू-धंसाव की घटना पर यदि प्रभावी रोक नहीं लगी तो ये देश की सुरक्षा को भी खतरा पैदा कर सकता है। जोशीमठ में स्काउट आईबेक्स बिग्रेड का मुख्यालय भी है।
वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्घ हुआ था। उस समय इस सीमांत इलाके में भारतीय सेना नहीं थी लेकिन उसके बाद इस संवेदनशील क्षेत्र में सेना की तैनाती की गई। इसके अलावा भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवान भी यहां तैनात किए गए। अक्सर भारत के सीमावर्ती क्षेत्र बाड़ाहोती में चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की घटनाएं होती रहती हैं।
वर्ष 2022 में चीनी सैनिकों ने बार घुसपैठ की कोशिश की। वर्ष 2021 में बाड़ाहोती में चीन के करीब 100 सैनिकों ने बर्डर क्रस किया था। इतना ही नहीं वर्ष 2014-18 तक करीब 10 बार चीन सीमा पर घुसपैठ कर चुका है। हालांकि हर बार आईटीबीपी के जवानों के आगे चीन के सैनिकों की नहीं चली।