रक्षा मंत्री बोले- उत्तर प्रदेश में होगा ब्रह्मोस-ड्रोन का निर्माण, विदेशी आयात पर घटेगी निर्भरता
लखनऊ, एजेंसी। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर में न केवल नट-बोल्ट बल्कि ब्रह्मोस मिसाइल और ड्रोन जैसे उत्पादों का भी निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘यूपी डिफेंस कॉरिडोर में न केवल नट और बोल्ट या स्पेयर पाट्र्स का निर्माण किया जाएगा, (बल्कि) ड्रोन, यूएवी, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (सिस्टम), विमान और ब्रह्मोस मिसाइलों का भी निर्माण और संयोजन किया जाएगा।’ राजनाथ शनिवार को लखनऊ में आयोजित ‘आत्मनिर्भर भारत’ कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे थे।
उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (यूपीडीआईसी) का निर्माण भारत की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्रों में होने वाले विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करना है। हाल ही में, भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि इन मिसाइलों को भारत की मारक क्षमता में शामिल कर लिया गया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि तमिलनाडु की तरह उत्तर प्रदेश में भी रक्षा क्षेत्र में होने वाले निर्माणों के लिए एक सक्रिय माहौल बनाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘मुझे बताया गया है कि यूपी डिफेंस कॉरिडोर के लिए करीब 1700 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित करने की योजना है। इसमें से 95 प्रतिशत से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है’।
रक्षा मंत्री के अनुसार, विभिन्न संस्थाओं द्वारा यूपीडीआईसी में लगभग 2,500 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही किया जा चुका है। यूपीडीआईसी ने 2018 में अलीगढ़ में आयोजित एक बैठक में रक्षा उत्पादन में 3,700 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की घोषणा के साथ एक उत्साहजनक शुरुआत की है।
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘1971 के युद्ध के दौरान जब हमें उपकरणों की सबसे ज्यादा जरूरत थी तो हमें मना कर दिया गया। हमें विकल्प तलाशने थे। मैं उन देशों का नाम नहीं लेना चाहता, जिन्होंने हमारे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। इसी तरह जब हमारे सशस्त्र बलों को साजो-सामान की सख्त जरूरत महसूस हुई तो वे देश हमें शांति का पाठ पढ़ा रहे थे। जो परंपरागत रूप से हमें हथियार सप्लाई करते थे, उन्होंने भी मना कर दिया’। उन्होंने कहा कि इसलिए तेजी से बदलती दुनिया में आत्मनिर्भरता भारत के लिए कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है।
अरब सागर के चक्रवात से गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में क्षति अवश्य हुई है लेकिन दूसरा पहलू है कि धान की खेती के लिए यह वरदान साबित होने वाला है।गर्मी से झुलस रहे बिहार एवं पूर्वी यूपी की फसलों को 20 जून से राहत मिलने की उम्मीद है।