दिल्ली पुलिस बोली- हम हैं ना; 140 गाड़ियों के काफिले पर अड़ गए थे वर-चीन, मिली 100 की मंजूरी
नई दिल्ली, एजेंसी। ‘जी20’ शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली पहुंच रहे विदेशी मेहमानों के काफिलों को लेकर दिल्ली पुलिस को खासी माथापच्ची करनी पड़ी है। अमेरिका और चीन तो इस बात पर अड़ गए थे कि उनके राष्ट्रपति के साथ चलने वाले काफिले में कितनी गाड़ियां रहेंगी, यह संख्या वे खुद तय करेंगे। अमेरिका की तरफ से कहा गया कि राष्ट्रपति ‘जो बाइडेन’ के काफिले में 80 गाड़ियां रहेंगी। इसी तरह से जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का रूट तय किया जा रहा था, तो वहां से भी यह मांग आई कि उनके काफिले में 60 गाड़ियां रहेंगी।
दिल्ली पुलिस ने उन्हें समझाया कि वे सुरक्षा एवं दूसरे किसी भी मामले में निश्चिंत रहें। जहां पर भी विदेशी मेहमानों का काफिला जाएगा, वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। जमीन से लेकर आसमान तक, पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किया गया है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की तरफ से यह दलील दी गई कि एक राष्ट्रपति के कारकेड (काफिला) में अगर इतने वाहन चलेंगे तो तय स्थान पर पहुंचने में देरी होगी। इससे सभी राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों का तय जगह पर पहुंचने के लिए जो समयावधि निर्धारित की गई है, उसका पालन नहीं हो सकेगा। इसके बाद दोनों देश, अपने काफिले में वाहनों की संख्या कम करने को राजी हो गए।
सूत्रों का कहना है, जी20 सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच रहे मेहमानों के कुल 32 काफिले निकलेंगे। इनमें अमेरिका की तरफ से कहा गया कि उनके राष्ट्रपति के साथ कम से कम 80 गाड़ियां चलेंगी। इसी तरह से चीन की ओर कहा गया कि राष्ट्रपति के कारकेड में 60 गाड़ियां रहेंगी। इन दोनों देशों की इस बात ने भारत सरकार और खासतौर से दिल्ली पुलिस को धर्मसंकट में डाल दिया। विदेश मंत्रालय की मदद से गाड़ियों की संख्या कम करने का आग्रह किया गया। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने वजह भी बता दी।
विभिन्न होटलों से 10 सितंबर की सुबह 30 मिनट में सभी मेहमानों के काफिले होटल से राजघाट पहुंचेंगे। इसके बाद इन काफिलों के प्रगति मैदान में पहुंचने का समय 45 मिनट रखा गया था। इस शेड्यूल के मुताबिक, अगर किसी देश के काफिले में 80 वाहन होंगे तो आवाजाही तय समय पर पूरी नहीं हो सकेगी। अमेरिकी प्रशासन के साथ बातचीत की गई। अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात यूएस सीक्रेट सर्विस की टीम को होटल से प्रगति मैदान और राजघाट तक पहुंचने का रूट दिखाया गया। दूसरे देशों के कारकेड की संख्या बताई गई। इसके बाद अमेरिकी प्रशासन 60 गाड़ियों के काफिले पर राजी हो गया।
इसके बाद चीन की बारी थी। हालांकि अब राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं आ रहे हैं। चीन ने लगभग 60 गाड़ियों का काफिला निकालने की बात कही थी। भारत सरकार की तरफ से उन्हें 25 से 30 गाड़ियों का काफिला साथ रखने के लिए कहा गया। यहां पर भी दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के ठोस इंतजाम का दावा किया। ट्रैफिक शेड्यूल का हवाला दिया गया। इसके बाद भी चीन 40 से ज्यादा वाहन के कारकेड पर अड़ा रहा। अब चूंकि वहां के पीएम आ रहे हैं तो उनका कारकेड, शी जिनपिंग के मुकाबले आधा रह गया है। टर्की और फ्रांस को भी करीब दो दर्जन वाहनों का कारकेड रखने के लिए कहा गया। यूरोपियन संघ भी इसी संख्या का पालन कर रहा है। ब्रिटेन की ओर से बड़े कारकेड की मांग नहीं की गई। ये अलग बात है कि पीएम ऋषि सुनक की सुरक्षा के लिए कई टीमें, ब्रिटेन से दिल्ली पहुंची हैं। रूस के राष्ट्रपति पुतिन की सुरक्षा के मद्देनजर, वहां के ड्राइवर पहले ही दिल्ली पहुंच गए थे। बाद में पुतिन ने भी ‘जी20’ में आने से मना कर दिया। रूस के विदेश मंत्री, ‘जी20’ शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के कारकेड को मिलाकर सभी विदेशी मेहमानों के साथ करीब 60 गाड़ियां, दिल्ली पहुंची हैं। इनमें से दर्जनभर वाहन जो बाइडेन के रहेंगे और बाकी गाड़ियां, दूसरे मुल्कों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के कारकेड में चलेंगी। बाइडेन के साथ चार हवाई जहाज दिल्ली आ रहे हैं। इनमें से एक विमान में बाइडेन और उनका निजी स्टाफ रहता है। दूसरे प्लेन में यूएस सीक्रेट सर्विस का दस्ता और तीसरे प्लेन में वाहन एवं दूसरे तकनीकी उपकरण आते हैं। चौथे विमान में बाइडेन के प्रशासनिक अधिकारी सवार होते हैं। भारत सरकार ने 18 करोड़ रुपये की लागत से 20 बुलेट प्रूफ लिमोजिन कार लीज पर ली हैं। इसके अलावा विदेशी मेहमानों के लिए तीन सौ से अधिक गाड़ियां, जिनमें मर्सिडीज मेबैक, रेंज रोवर, ऑडी और बीएमडब्लू आदि लग्जरी कारों का इंतजाम किया गया है। जो बाइडेन के कारकेड में चलने वाली अमेरिकी गाड़ियों की संख्या करीब दर्जनभर है।