दिल्ली के नए पुलिस कमिश्नर सतीश गोलचा ने संभाला कार्यभार, निभा चुके हैं कई अहम भूमिका

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नई दिल्ली, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश गोलचा ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस के 26वें आयुक्त के रूप में कार्यभार संभाला. उन्होंने एस बी के सिंह का स्थान लिया, जो केवल 21 दिनों तक इस पद पर रहे. अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के 1992 बैच के अधिकारी गोलचा ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय में कार्यभार ग्रहण किया.
गृह मंत्रालय ने गुरुवार को नियुक्ति का आदेश जारी किया था. यह आदेश दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर बुधवार को उनके सिविल लाइंस स्थित कार्यालय में एक जनसुनवाई के दौरान हुए हमले के एक दिन बाद जारी किया गया. हालांकि, अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस नियुक्ति का हमले से कोई संबंध नहीं है. गोलचा अप्रैल 2027 तक सेवा देंगे. वह अपने स्पष्ट दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान विशेष पुलिस आयुक्त (कानून और व्यवस्था) के रूप में निर्णायक भूमिका निभाई थी. उनके पूर्ववर्ती, 1988 बैच के अधिकारी एस बी के सिंह का दिल्ली पुलिस प्रमुख के रूप में कार्यकाल सबसे छोटा था, जिन्होंने संजय अरोड़ा की सेवानिवृत्ति के बाद 1 अगस्त को पदभार संभाला था.
सतीश गोलचा का कार्यकाल विविध जिम्मेदारियों से भरा रहा है. दिल्ली पुलिस में सतीश गोलचा डीसीपी, ज्वाइंट सीपी और स्पेशल सीपी (लॉ एंड ऑर्डर), स्पेशल सीपी (लॉ एंड ऑर्डर तथा इंटेलिजेंस) जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं. वर्ष 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान कानून-व्यवस्था संभालने की उनकी भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय रही थी. वर्ष 2022 से 2023 तक वह अरुणाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे, जहां उन्होंने उग्रवाद व सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा को लेकर कठोर और व्यावहारिक निर्णय लिए थे, जिससे कानून व्यवस्था में काफी सुधार हुआ था. इसके बाद गोलचा को अप्रैल 2024 में तिहाड़ जेल का महानिदेशक नियुक्त किया गया था.
सतीश गोलचा को दिल्ली पुलिस आयुक्त का पदभार देने के कई कारणों से सामयिक और रणनीतिक माना जा रहा है. अनुभव व सीनियरिटी उन्हें निर्णयात्मक स्थितियों में भरोसेमंद बनाती है. दिल्ली की सामाजिक-सुरक्षा चुनौतियों की गोलचा को गहरी समझ है. जेल व पुलिस तंत्र के बीच समन्वय का उनका अनुभव विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है. उनकी राजनीतिक निष्पक्षता व व्यवस्थागत अनुशासन प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं.

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