उत्तराखंड

बोट संचालन की निविदा शर्त में बदलाव की मांग

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नई टिहरी : टिहरी झील में बोटिंग व्यवसाय कर रहे स्थानीय युवाओं ने प्रभावित क्षेत्र के लिए पुनर्वास विभाग की ओर से संचालित किए जाने वाली फेरी बोट संचालन की निविदा में उन्हें भी शामिल करने की मांग की है। कहा कि पुनर्वास विभाग ने निविदा में शर्त रखी है कि वही व्यक्ति निविदा डाल सकता है, जिसके पास पुनर्वास विभाग में बोट चलाने का तीन साल का अनुभव हो। शनिवार को टिहरी झील में बोट संचालक लखवीर चौहान, मनीष रावत, आशीष रावत, प्रवीन रावत, जयपाल रावत, शीशपाल कठैत, कमल अरोड़ा, राजवीर सजवाण ने आरोप लगाया कि एक ही झील में दो तरह के नियम क्रियान्वित किए जा रहे हैं। कहा कि एक ओर सरकार स्थानीय लोगों को झील में रोजगार देने की बात कर रह रही है। वहीं 22 जुलाई को बांध प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की सुविधा के लिए फेरी बोट संचालन की निविदा में तीन साल पुनर्वास विभाग में बोटिंग करने का अनुभव मांगा गया है। बताया कि वह लोग भी टाडा (टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण) विभाग के अधीन बोटिंग कार्य करते आ रहे हैं। पूर्व में हुए फेरी बोट संचालन में उन्हें प्रतिभाग करने का मौका दिया गया था। लेकिन इस बार उन्हें बाहर करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने डीएम से मामले में हस्तक्षेप कर सभी बोट संचालन को इसमें शामिल करने की मांग की है। ऐसा न करने पर वह उग्र आंदोलन शुरू करेंगे। इस संबंध में पुनर्वास विभाग के ईई डीएस नेगी का कहना है कि फेरी बोट में नाव की क्षमता 25 से अधिक यात्रियां की होती है, जबकि टाडा मे अधीन चलने वाली मोटर बोट अधिकतम 12 सीटर ही है। ऐसे में उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जा सकता है। (एजेंसी)

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