नई टिहरी। वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता और उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी से देश में कोरोना वैक्सीन की कमी को दूर करने के लिये तुरन्त आईडीपीएल ऋषिकेश को पुनर्जीवित करने का आग्रह किया है। कहा कि बहुत कम समय और व्यय में आईडीपीएल में कोरोना वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर दवा के मामले में आत्मनिर्भर बन सकते हैं। उपाध्याय ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में बताया आईडीपीएल को पुर्नजीवित किये जाने से भविष्य में भारत इन दवाईयों के उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा। इससे यहां के हजारों बेरोजगारों की बेरोजगारी भी दूर होगी। अब समय आ गया है, कि जब राज्य के लोगों की जिन्दगी को निजी अस्पतालों के भरोसे न छोड़ा जाय। पत्र में कहा कि कोविड 19 इस प्रलय काल खण्ड में, मैं आरोपों और प्रत्यारोपों की बात नहीं करना चाहता हूँ। उत्तराखंड से स्नेह और श्रद्धा की अनेक अवसरों पर आपने अपनी वाणी से चर्चा की है। 2017 विधान सभा चुनाव में आपकी पार्टी ने नारा ही दिया था कि, अटल जी ने बनाया, मोदी जी संवारेंगे। कितना संवरा उसका आकलन आप स्वयं कर सकते हैं। उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवायें दम तोड़ चुकी हैं। उत्तराखंड का 88 प्रतिशत भाग पहाड़ी है, जहाँ स्वास्थ्य सेवायें दिवा स्वप्न हैं। बाकी तराई और मैदानी भाग में भी स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है। चीन के बार्डर से जब तक बीमार हल्द्वानी या देहरादून पहुँचता है, या तो प्राण पखेरू उड़ जाते हैं या उड़ने के करीब होते हैं। राज्य निर्माण का उद्देश्य ही खत्म सा हो गया है। बेटी-बहुऐं सड़क पर बच्चे जनने के लिये अभिशप्त हैं। इस समय सैंकड़ों लोगों ने बिना ऑक्सिजन के दम तोड़ दिया। गत वर्ष कोरोना काल शुरू होते ही मैंने आपको, राज्य के मुख्यमंत्रीजी और विधान सभा अध्यक्ष जी को सुझाव दिया था, कि बहुत ही कम खर्च पर कोरोना की दवाईयों के अलावा भी अन्य दवाईयों का उत्पादन आईडीपीएल ऋषिकेश में हो सकता है, लेकिन कोई ध्यान मेरी बात पर नहीं दिया गया। कोरोना वैक्सीन की कमी है, कम व्यव और कम समय में आईडीपीएल ऋषिकेश को पुनर्जीवित कर कोरोना की वैक्सीन का उत्पादन कर भारत वैक्सीन निर्माण में आत्मनिर्भर हो सकता है। आईडीपीएल की स्थापना में युएसएसआर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस समय स्तूपनिक का निर्माण उनके सहयोग से तुरन्त ही किया जा सकता है। मैंने रुग्ण आईडीपीएल को पुनर्जीवित करने के लिये 1992-93 में केन्द्र सरकार से लगभग 30 करोड़ की व्यवस्था करवायी थी, लेकिन वे प्रयास सफल नहीं हो पाये। इस समय आईडीपीएल को पुर्नजीवित कर यहां पर वैक्सीन का उत्पादन तेजी से किया जा सकता है।