जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : गढ़वाल सेवानिवृत्त कर्मचारी समिति ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में आंदोलित राजकीय कर्मचारियों और शिक्षकों को राज्य आंदोलनकारी घोषित किए जाने की मांग की है। कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पर्वतीय क्षेत्र की घोर उपेक्षा की जा रही है। आंदोलनकारियों को सरकार द्वारा कई सुविधाएं दी जा रही है जबकि राज्य कर्मचारियों की आंदोलन की भूमिका को नजर अंदाज किया जा रहा है।
शुक्रवार को सीएम को भेजे गए ज्ञापन में गढ़वाल सेवानिवृत्त कर्मचारी समिति के अध्यक्ष बिक्रम सिंह राणा, सचिव सुरेशचंद्र बड़थ्वाल ने कहा कि साल 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. वीपी सिंह द्वारा मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू करने पर जब पर्वतीय क्षेत्रों में मुलायम सिंह सरकार द्वारा फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर ओबीसी आरक्षण पर नियुक्तियां की गईं तो विरोध में पर्वतीय क्षेत्र की जनता व कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू किया। बाद में यह आंदोलन उत्तराखंड राज्य आंदोलन में परिवर्तित हो गया। आंदोलन में कर्मचारियों व शिक्षकों ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हुए राजकीय सेवा दांव पर लगाते हुए 94 दिन का ऐतिहासिक आंदोलन किया गया। समिति ने राज्य आंदोलनकारी के लिए कट ऑफ डेट 1994 मानकर शासनादेश में संशोधन करने व 1994 में राज्य आंदोलन में संघर्षरत सभी कर्मचारियों, शिक्षकों को राज्यआंदोलनकारी घोषित करते हुए आंदोलनकारियों की तरह सुविधाएं देने की मांग की है। इस मौके पर उपाध्यक्ष त्रिलोक सिंह रावत, सलाहकार जसपाल सिंह रावत, पुष्कर सिंह रावत आदि मौजूद रहे।