पर्यावरण को ध्यान में रखकर हों विकास कार्य: शांति ठाकुर

Spread the love

उत्तरकाशी। ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर ने कहा है कि सड़क निर्माण के लिए उत्तरकाशी से गंगोत्री तक करीब ढाई लाख पेड़ों को काटा जाना है, जो पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं है। इन पेड़ों की कटान को रोकने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर इसको रोकने की मांग की। उन्होंने कहा कि गंगा-यमुना की निर्मलता, अविरलता और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर विकास कार्य करने होंगे।
शुक्रवार को शांति ठाकुर ने बड़कोट में पत्रकार वार्ता करते हुए कहा है कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों के कटान से पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचेगी जो पर्यावरण व मानव जीवन के लिए शुभ संकेत नहीं है। साथ ही हर्षिल घाटी की खूबसूरती पर भी ग्रहण लगेगा। उन्होंने सरकार से भी अपील की है कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों के कटान से भविष्य में होने वाली पानी की किल्लत व पर्यावरण में होने वाली दिक्कतें होनी लाजमी है, लिहाजा जनहित को देखते हुए इन पेड़ों का कटान रोका जाय। बता दें कि चारधाम परियोजना के तहत उत्तरकाशी से गंगोत्री तक सड़क का चौड़ीकरण किया जाना है, जिसमें पेड़ों का कटान किया जाना है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ त्रासदी पहाड़ झेल रहा है, आने वाले दिनों में यदि इसी तरह से हाईवे के नाम पर पर्यावरण से टेड़छाड़ की गई तो स्थानीय लोगों को इसके गंभीर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। गंगा और यमुना हमारी मुख्य नदियों के अलावा ग्लेशियर को भी बचाना सरकारों की जिम्मेदारी है। पर्यावरण प्रेमी कल्पना ठाकुर गुलेरिया और अखिल पंत ने कहा कि अल वेदर के नाम पर पर्यावरण को क्षति पहुंचाना सही निर्णय नहीं है, सरकार को देवदार के पेड़ों को काटने से रोकना चाहिए। गंगा और यमुना का संरक्षण, संवर्धन, उसकी निर्मलता और अविरलता तथा पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर विकास कार्य करने होंगे।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *