उत्तराखंड

सावन की संक्रांति पर भंडाराथात के जातरा मेले में उमड़े श्रद्धालु

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विकासनगर। जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के कई गांवों में सावन की संक्रांति को मनाए जाने वाले लोकपर्व जातरा को धूमधाम से मनाया गया। खत द्वार के मिंडाल गांव स्थित भंडाराथात और खत दुनौऊ के ग्राम जाड़ी में मंगलवार को इस लोकपर्व की धूम रही। मेले में सैकड़ों ग्रामीणों ने भाग लेकर फसलों की अच्छी पैदावार और सुख-समृद्धि की कामना की। जौनसार बावर की लोक संस्कृति अपने आप में अनूठी है। यहां हर त्योहार को मनाने का अपना एक अलग अंदाज है। स्थानीय ग्रामीण हर त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। मंगलवार सुबह चकराता तहसील के मिंडाल गांव के शिलगुर देव स्थान और जाड़ी गांव के काली मंदिर में पूजा अर्चना कर जातरा मेले का शुभारंभ किया गया। ग्रामीणों ने मेला स्थल पर नृत्य कर त्योहार का जश्न मनाया। अपनी पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचे महिला, पुरुषों ने लोक गीत गाते हुए पारंपरिक तांदी और हारुल नृत्य कर मेले का आनंद लिया। चकराता ब्लॉक के खत द्वार के सात गांव मिंडाल, कुराड़, खनाड़, सिचाड़, मंझगांव, बनियाना, समोग सहित आसपास के कई गांवों के ग्रामीणों ने भंडाराथात पहुंच फसलों की अच्छी पैदावार की कामना की। दुनौऊ खत के जाड़ी गांव पहुंचे ग्रामीणों ने गांव में स्थित काली माता मंदिर के जातरा मेले में भाग लिया। मेले में खत के जाड़ी, मुंगाड़, लोहारी, सीजला, बुरायला, जगथान आदि गांव के ग्रामीणों सहित आसपास के अन्य गांवों के सैकड़ों लोग मौजूद रहे। युवा संगठन खत द्वार के पूर्व अध्यक्ष राकेश भट्ट ने बताया की जातरा मेले को मनाने की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी से चली आ रही है। इस मेले में जनजातीय क्षेत्र की पारंपरिक लोक संस्कृति की छटा देखने को मिलती है। सदर स्याणा रजनीश नेगी ने बताया की आज भी जौनसार की लोक संस्कृति गांव के आंगन में दिखती है।

 

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