धाद संस्था ने माल्टे, नारंगी के समर्थन में किया माल्टे का महीना अभियान शुरू
देहरादून। विश्व पहाड़ दिवस पर धाद संस्था द्वारा उत्तराखंड के फल उत्पादकों के समर्थन में माल्टे पर 40 रुपये व नारंगी पर 60 रुपये जन समर्थन मूल्य पर लोगों को खरीददारी के लिए आमंत्रित किया गया। गांधी पार्क में इसी के साथ धाद संस्था ने फंची कार्यक्रम के तहत माल्टे का महीना(11 दिसम्बर से 14 जनवरी) अभियान की भी शुरूआत की है। संस्था का उद्देश्य सरकार को यह बताना है कि माल्टे व नारंगी पर सरकार से काफी कम समर्थन मूल्य तय किया है, जिससे उत्पादकों को कोई फायदा नहीं, जबकि लोग इसे अच्छी कीमत भी हाथों-हाथ खरीद रहे हैं। हर साल की तरह इस बार भी सर्दियों में पहाड़ में माल्टे के साथ गलगल, नारंगी के पेड़ लदे हुए हैं। यह फल अपने खट्टे मीठे स्वाद के साथ लोगों के जेहन में रहता ही है। पुरानी पीढ़ी के लोग इन फलों के साथ अपने अतीत को याद करते हैं। विटामिन सी की खुराक के साथ ही त्वचा, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के लिए फायदेमंद रहे इन फलों को अपने खट्टे मीठे स्वाद के साथ देश दुनिया के बाजार तक जिस फल को पहुंचना चाहिए था वह अपने ही राज्य में उपेक्षित है। हिमालय के नैसर्गिक वातावरण में पैदा माल्टा, नारंगी आज स्थानीय लोगों के आहार से भी लगभग गायब हो चला है। इसलिए उत्पादकों के लिए यह फल आज एक उम्मीद के बजाय चिंता की वजह बन गया है। धाद सचिव तन्मय ममगाईं ने बताया कि राज्य में हर साल औसतन नब्बे हजार से एक लाख मीट्रिक टन नींबू प्रजाति(माल्टा, नारंगी, गलगल)का उत्पादन होता है। सरकारी खरीद सात से दस रुपये प्रति किलो तय की जाती है जो लागत से कहीं कम होने के कारण अव्यवहारिक है। जिसमें उत्पादकों की हिस्सेदारी न के बराबर है। वहीं बाजार तक पहुंच न होने के कारण उसका अधिकांश हिस्सा खराब हो रहा है। लिहाजा धाद के फंची कार्यक्रम के तहत पहाड़ी फलों व उनके उत्पादकों के समर्थन में इस माह को माल्टे का महीना के रुप में मनाने का निर्णय लिया गया है। इस अभियान के तहत धाद की टीम पौड़ी, चमोली व रुद्रप्रयाग के माल्टे बिक्री के लिए उपलब्ध कराएगी। इसी के साथ रविवार 17 दिसम्बर को मालदेवता स्मृति वन में माल्टे, नारंगी, कचमोली के साथ धाद संस्था कल्यो का आयोजन भी करेगी। मौके पर साकेत रावत, किशन सिंह, अर्चना ग्वाड़ी आदि भी मौजूद रहे।