धनराशि नहीं बल्कि छात्र-छात्राओं को पाठ्यपुस्तकें मुहैया कराई जाएंगी: शिक्षा मंत्री

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देहरादून। कोरोना संकटकाल में प्रदेश के लाखों छात्र-छात्राओं को पाठ्यपुस्तकों के लिए धनराशि नहीं दी जाएगी, बल्कि उन्हें पाठ्यपुस्तकें मुहैया कराई जाएंगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय के निर्देश पर महकमे ने इस संबंध में कसरत तेज कर दी है। कोरोना महामारी के चलते नया शिक्षा सत्र शुरू तो हुआ, लेकिन शिक्षण संस्थाएं खुल नहीं पाई। सरकारी शिक्षण संस्थाएं बंद पड़ी हैं। विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई, दूरदर्शन और प्राथमिक कक्षाओं के नन्हें बच्चों के लिए कम्युनिटी रेडियो के माध्यम से पढ़ाई के बंदोबस्त किए गए। इस शैक्षिक सत्र में एक अहम फैसला पाठ्यपुस्तकें छात्र-छात्राओं को मुहैया कराने का लिया गया है। बीते वर्ष इन पुस्तकों के एवज में धनराशि छात्र-छात्राओं के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से पहुंचाई गई थी। डीबीटी से पैसा देने के बावजूद दूरदराज के छात्रों को पाठ्यपुस्तकें नहीं मिलने का मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा था। उन्होंने पाठ्यपुस्तकें छात्रों तक पहुंचाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। कोरोना महामारी के चलते इस बार छात्र-छात्राओं को पाठ्यपुस्तकें देने के निर्देश शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने सचिव को दिए हैं। कक्षा एक से आठवीं तक सभी छात्र-छात्राओं को मुफ्त पाठ्यपुस्तकें दी जाती हैं। कक्षा नौ से बारहवीं तक छात्राओं और अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को मुफ्त किताबें देने का प्रविधान है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय के मुताबिक कक्षा एक से आठवीं तक करीब सात लाख 13 हजार सात सौ से ज्यादा छात्र-छात्राओं और माध्यमिक में करीब डेढ़ से दो लाख छात्र-छात्राओं को मुफ्त किताबें दी जाएंगी। कक्षा एक से पांचवीं तक पुस्तक के लिए प्रत्येक छात्र को 250 रुपये, कक्षा छह से आठवीं तक 400 रुपये प्रति छात्र, नवीं से दसवीं तक प्रति छात्र 600 रुपये और 11वीं और 12वीं में विज्ञान वर्ग के लिए 1000 रुपये और अन्य विषयों के लिए 700 रुपये प्रति छात्र डीबीटी से धनराशि दी जाती रही है। इस बार इस धनराशि के बजाय पाठ्यपुस्तकें विद्यालयों के माध्यम से छात्र-छात्राओं तक पहुंचाई जाएंगी।

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