छावला हत्याकांड में उत्तराखंड की बेटी को न्याय दिलाने के लिए जंतर-मंतर पर 10 अप्रैल को धरना
देहरादून। उत्तराखण्ड की बेटी के पश्चिमी दिल्ली के छावला सामूहिक दुष्कर्म मामले में इंसाफ की मांग पर 10 अप्रैल को दिल्ली जंतर मंतर पर धरना दिया जाएगा। शुक्रवार को देहरादून के एक क्लब में प्रेस वार्ता करते हुए लड़की के पिता ने राज्य वासियों से इंसाफ के लिए सहयोग मांगा और धरने में शामिल होने की अपील की। केस में आरोपियों की फांसी की सजा को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया। परिवार ने इंसाफ की लड़ाई जारी रखने की बात कही है। बता दें कि निर्भया दुष्कर्म कांड (16 दिसंबर 2012) से लगभग दस माह पहले भी दिल दहलाने वाली वारदात हुई थी। कार सवार तीन युवकों ने छावला की रहने वाली 19 वर्षीय युवती को अगवा कर चलती कार में उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म के दौरान दरिंद्गी की थी। उस घटना ने भी देश को शर्मसार कर दिया था। बताया जा रहा है कि दिल्ली के छावला से हरियाणा के रेवाड़ी के बीच तकरीबन 70 किलोमीटर तक युवती के साथ दरिंद्गी की गई। घटनाक्रम के मुताबिक, नौ फरवरी, 2012 को जब बेटी काफी देर तक घर नहीं पहुंची तो गुमशुदा बेटी के पिता मदद के लिए पुलिस के पास पहुंचे थे। पुलिस वालों ने उन्हें कहा था कि युवती को ढूंढ़ने के लिए उनके पास वाहन नहीं हैं। पुलिस की हीलाहवाली के कारण तब तक आरोपित, पीड़िता को लेकर हरियाणा की सीमा में प्रवेश कर चुके थे। उसके बाद युवकों ने चलती कार में पीड़िता से बदसलूकी शुरू कर दी थी। आरोपियों ने एक ठेके से बीयर भी खरीदी थी। आरोपितों ने दुष्कर्म करने के साथ ही उसके शरीर पर कई जगह दांतों से भी काट लिया था और सिगरेट से जलाया भी था। इस दौरान पीड़िता कार के अंदर शोर मचाते हुए जान बचाने की गुहार लगाती रही, लेकिन शीशा बंद होने के कारण न तो किसी राहगीर को उसकी आवाज सुनाई दी, न ही आरोपितों का दिल पसीजा। युवती का क्षत-विक्षत शरीर अपहरण के तीन दिन बाद मिला था। यह हरियाणा के रेवाड़ी के रोधई गांव के खेतों में मिला था। शुक्रवार को परी फाउंडेशन की संस्थापक और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ इस मामले पर प्रेस वार्ता कर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले से सहमत नहीं है। उनकी बेटी की हत्या किसने की है यह आज तक पता नहीं लग पाया है। जो कि बड़ा सवाल है। उन्होंने बेटी के इंसाफ की मांग को लेकर 10 अप्रैल को जंतर मंतर पर धरना देने की बात कही। इसमें उत्तराखंड वासियों से सहयोग मांगा। इस दौरान उन्होंने केस में राज्य, दिल्ली और केंद्र सरकार से भी सहयोग नहीं मिलने का आरोप लगाया है।