अस्पतालों की व्यवस्थाओं, जन सेवाओं को और बेहतर बनाने के दिए निर्देश
जयन्त प्रतिनिधि।
देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में शासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों एवं वर्चुअल माध्यम से जुड़े सभी जिलाधिकारियों को आपदा प्रबंधन, कानून व्यवस्था, पुनर्निर्माण कार्यों, पर्यटन एवं जनसुविधाओं से संबंधित व्यापक दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता जनता को त्वरित राहत, सुरक्षा एवं सुविधाएं उपलब्ध कराना है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि बरसात समाप्त होते ही मरम्मत और पुनर्निर्माण के कार्यों हेतु प्रशासनिक मशीनरी एक्टिव मोड में कार्यरत रहे। वर्षाकाल तक राहत सामग्री एवं ड्राई राशन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। कहा कि आपदा प्रभावितों के ठहरने, भोजन एवं अन्य आवश्यक सुविधाओं की समुचित व्यवस्था की जाए। फसलों, पेयजल लाइन एवं सरकारी संपत्तियों को हुए नुकसान का त्वरित आंकलन कर शासन को रिपोर्ट भेजी जाए। नदी-नालों के पास निर्माण की अनुमति पर प्रतिबंध सख्ती से लागू किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिबंधों का अनुपालन न करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा प्रभावितों को मानकानुसार त्वरित सहायता राशि उपलब्ध कराई जाए। जिलाधिकारी समय-समय पर अस्पतालों का निरीक्षण करें और विभिन्न व्यवस्थाओं का आंकलन करें। डेंगू, मलेरिया और अन्य जल जनित रोगों से बचाव के लिए अस्पतालों में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। सभी जिलाधिकारी अपने-अपने जनपदों में स्वास्थ्य विभाग की शीघ्र बैठक करें। बैठक में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, डीजीपी दीपम सेठ, अपर पुलिस महानिदेशक ए.पी. अंशुमान, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव बंशीधर तिवारी, वर्चुअल माध्यम से कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत और सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।
स्थानीय मजदूरों को प्राथमिकता दी जाएं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बरसात के बाद पुनर्निर्माण एवं इंफ्रास्ट्रक्चर के कार्यों में तेजी लाई जाए। सरकारी निर्माण कार्यों में स्थानीय मजदूरों को प्राथमिकता दी जाए। गांवों और शहरी क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइट व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सेवा के अधिकार के तहत प्रदान किए जा रहे विभिन्न प्रमाण पत्रों को आवेदनकर्ता जिस भाषा (हिंदी या अंग्रेजी) में मांगते हैं, उसी भाषा में उपलब्ध कराया जाए। नकली दवाओं के निर्माण और बिक्री की प्रक्रिया में सम्मिलित लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए।