गढ़वाल विवि में जल्द खुलेगा आपदा प्रबंधन अध्ययन केंद्र : डॉ. रावत

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गढ़वाल विवि के भूगोल विभाग में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू
जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर गढ़वाल : हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित भारतीय भूगोलवेत्ताओं के संस्थान (आईआईजी) का 46वां वार्षिक अधिवेशन एवं डायनेमिक अर्थ, फैजाइल एनवायरनमेंट एंड पाथ टू क्लाइमट रिजिलिएंट सोसायटी विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शनिवार को शुभारंभ हुआ। इस मौके पर कार्यक्रम का सम्बोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि आज के समय में पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर विषय बनता जा रहा है, जिसको लेकर वैज्ञानिकों को गंभीरता से सोचना होगा और इस दिशा में कार्य करना होगा। कहा कि गढ़वाल विवि में जल्द ही आपदा प्रबंधन अध्ययन केंद्र खोला जायेगा। जिससे यहां के शोध छात्र-छात्राएं आपदा से सम्बंधित शोध कार्य कर पायेंगे और उत्तराखंड की भौगोलिक पारिस्थितिकी को आसानी से समझ पायेंगे। कहा कि गढ़वाल विवि की ओर से जीएसआई लैब का प्रस्ताव मिलने के बाद वह जल्द केंद्रीय साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्री जितेंद्र प्रसाद को इसका प्रस्ताव सौपेंगे।
गढ़वाल विवि के चौरास परिसर स्थित स्वामी मनमंथन प्रेक्षागृह में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत एवं पर्यावरणविद् पद्मश्री डॉ. अनिल जोशी ने दीप प्रज्वलित कर संयुक्त रूप से किया। कार्यशाला में पद्मश्री पर्यावरणविद् डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि विकास को नकारा नहीं जा सकता है, लेकिन विकास की इस होड़ में हमनें अपने घर बार बनाने के लिए दूसरों के घर छीने है। जिससे हमारा पारस्थितिकी तंत्र तहस-नहस हुआ है। उन्होंने कहा की लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। जिसका खामियाजा हिमालयी क्षेत्रों को भुगतना पड़ रहा है, लेकिन वो दिन अब दूर नहीं है जब इसकी मार मैदानी क्षेत्रों तक पड़ेगी। इसलिए अभी भी चेतने की जरूरत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गढ़वाल विवि कुलपति के प्रतिनिधि प्रो. एनएस पंवार ने कहा कि आईआईजी का यह सम्मेलन हिमालय को बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। कहा कि पृथ्वी को स्वच्छ एवं सुंदर रखने के लिए सबकी सहभागिता अति आवश्यक है। वहीं इस दौरान भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष एवं संगोष्ठी के संयोजक प्रो. एमएस पंवार ने अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर संगोष्ठी के सह संयोजक प्रो. एमएस नेगी, आईआईजी की अध्यक्ष प्रो. डीके नायक, महासचिव प्रो. रविंद्र जय भाई, डीन, स्कूल ऑफ अर्थ साइंस प्रो. एचसी नैनवाल, चौरास परिसर के निदेशक प्रो. आरएस नेगी, प्रो. बीपी नैथानी, संगोष्ठी के सचिव डॉ. राकेश सैनी, आईआईजी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सच्चिदानंद सिन्हा, वित्त अधिकारी डॉ. संजय ध्यानी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. ओपी गुसांई, हैप्रेक निदेशक डॉ. विजयकांत पुरोहित, जन संपर्क अधिकारी आशुतोष बहुगुणा, छात्रसंघ अध्यक्ष महिपाल बिष्ट, दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. वीएस नेगी, जामिया मिलिया से प्रो. ताहिर, प्रो. आरबी भगत, प्रो. बीपी सती, प्रो. एम जागलान, प्रो. राजेश्वरी, प्रो. विमल कुमार, प्रो. सुधाकर, प्रो. अमित, प्रो. सचिन देवड़ा प्रो. दीपक मिश्रा, प्रो. पद्मिनी, प्रो. मुरारी लाल, प्रो. शिव बत्रा, प्रो. सीमा जलान सहित देश विदेश की प्रतिष्ठित भूगोल वेत्ता मौजूद रहे।

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